सैलानियों को लुभाती हैं झारखंड की वादियां

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झारखंड की हसीन वादियां हमेशा से पर्यटकों को अपनी ओर लुभाती रही हैं। यहां के जंगल, पहाड़, झरने व जलप्रपात एक बार आने पर लोगों का मन मोह लेता है।

झारखंड की हसीन वादियां हमेशा से पर्यटकों को अपनी ओर लुभाती रही हैं। यहां के जंगल, पहाड़, झरने व जलप्रपात एक बार आने पर लोगों का मन मोह लेता है। एक बार यहां जो आ गया वह बार-बार आना चाहता है। झारखंड के अलावा यहां के पर्यटनस्थल पर पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा व छत्तीसगढ़ के लोग भी पिकनिक मनाने सपरिवार आते रहते हैं। नववर्ष पर तो यहां सैलानियों की भीड़ लगी रहती है। परिवार सहित आए पर्यटक यहां परिवार सहित मस्ती करते हैं। वैसे तो सैलानी यहां सालों भर आते हैं, पर दिसंबर व जनवरी माह में यहां सैलानियों की भीड़ ज्यादा देखी जाती है। आइए झारखंड के कुछ पर्यटनस्थलों से आपको रूबरू कराएं।

लोध वाटर फॉल
लातेहार जिले के नेतरहाट से 60 किमी दूर लोध वाटरवाल पर सैलानी मस्ती करने पहुंचते हैं। इस वाटरफाल की ऊंचाई 143 मीटर है। यह झारखंड का सबसे ऊंचा वाटरफाल है।

नेतरहाट
लातेहार जिले का नेतरहाट भी प्रसिद्ध पर्यटनस्थल है। यहां पर पूरे साल हजारों की संख्या में सैलानी घूमने आत हैं। यह पहाड़ियों में स्थित एक बहुत ही खूबसूरत पर्यटनस्थल है। इसे छोटानागपुर के रानी के नाम से भी जाना जाता है। यह झारखंड का शान माना जाता है। यहां का सन सेट और सन राइज देखने लायक होता है।


हंडरूफॉल
रांची के अनगड़ा प्रखंड में स्थित हुंडरूफाल पर्यटकों को बरबस अपने ओर लुभाता है। घने जंगलों में स्थित यह फाल देखने में काफी खूबसूरत लगा है। इसके आसपास स्थित छोट-बड़ी पहाड़ियां इसे और भी खूबसूरत बनाती हैं। यह झारखंड का दूसरा सबसे ऊंचा वाटरफाल है। इसकी ऊंचाई 98 मीटर है। यह जलप्रपात स्वर्णरेखा नदी पर स्थित है, जहां पानी की धारा 320 फीट की ऊंचाई से गिरती है। यहां आने वाले सैलानी इसकी सुंदरता देखते ही रहते हैं।

जोन्हा फॉल
रांची से लगभग 45 किलोमीटर दूर रांची-पुरुलिया राजमार्ग पर जोन्हा जलप्रपात है। इसे गौतमधारा भी कहते हैं, क्योंकि यहां भगवान बुद्ध को समर्पित एक मंदिर है, जो इसके आसपास ही स्थित है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। ऊपर से गिरता पानी देखते ही बनता है, जो सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

दशम फॉल
रांची से महज 38 किलोमीटर दूर रांची-जमशेदपुर मार्ग पर बुंडू प्रखंड स्थित दशम फाल है। यह तैमारा से लगभग 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। जंगल-झाड़ के बीज सुरमई वातावरण में यहां कांची नदी का निर्मल जल 144 फीट की ऊंचाई से गिरता है। यहां के आसपास का दृश्य भी मनोहारी है। यहां पहुंचे सैलानियों का यह फाल मन मोह लेता है।

पतरातू घाटी
रामगढ़ जिले का पतरातू घाटी पतरातू घाटी एवं लेक भी सैलानियों का पसंदीदा जगह है। वैसे ट्रैकिंग में रुचि रखने वालों के लिए ये जगह काफी पसंद आएगी। यहाँ पर आप ट्रैकिंग हाईकिंग का रोमांच भरा अनुभब ले सकते हैं। यह घूमने व मस्ती करने के लिए शानदार जगह है। यहां आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ आ सकते हैं। यह पहाड़ी स्थल हरे-भरे जंगलो से घिरा हुआ है। अगर आप प्रकृति प्रेमी है, तो आप यहां सुकून भरा समय बिता सकते हैं।

मोती झरना
मोती झरना साहिबगंज में स्थित है। यह झारखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह झरना राजमहल नामक पहाड़ियों से तीनों भागों में विभाजित होकर गिरता है। इसकी ऊंचाई लगभग 50 मीटर है। वैसे सर्दियों में यहाँ की दृश्य देखने लायक होता है। यहां की खूबसूरती ऊंचे पहाड़ और आसपास की हरियाली है, जो आपके मन को मोह लेगी।

बेतला पार्क
पलामू जिले के पहाड़ी इलाकों में फैला हुआ बेतला राष्ट्रीय उद्यान भारत के पुराने उद्यान में से एक है, जो अपने समग्र जैविविकता के बल पर दूरदराज के सैलानियों को यहां आने का आमंत्रण देता है। इस उद्यान में आपको जंगली हाथी बिना रोक टोक के घूमते दिख जाएंगे। बेतला नेशनल पार्क पूर्व के सबसे शानदार पार्क में से गिना जाता है, जो लगभग 979 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।

तिलैया डैम
तिलैया डैम कोडरमा में स्थित एक बहुत ही खुबसूरत बांध है। इसका निर्माण 1953 में किया गया था। बराकर नदी में स्थित तिलैया डैम दामोदर घाटी निगम द्वारा बनाया गया पहला बांध है।
यह जगह हरे-भरे जंगलो से घिरी हुई है। बांध के चारों ओर खूबसूरत दृष्य पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है। यह एक खुबसूरत पिकनिक स्पाट है।

टैगोर हिल
रांची में टैगोर हिल अल्बर्ट एक्का चौक से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रांची में यह पहाड़ी समुद्र तल से 300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। टैगोर हिल मोराबादी का सुंदर इलाका है। पहाड़ी की चोटी से सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य देखने के लिए सबसे खूबसूरत चीज़ों में से एक है। टैगोर हिल एक रमणीय स्थान बनने से पहले यह रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्र नाथ का आश्रम था और इससे पहले यह उनके एक विश्राम घर था। रामकृष्ण मिशन आश्रम रांची में टैगोर हिल के आधार पर स्थित है। यह आश्रम कृषि व्यावसायिक संस्थान और दिव्ययन का केंद्र भी है। रांची में टैगोर हिल को शहर के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है। टैगोर हिल भी प्रमुख भौगोलिक सुविधाओं में से एक है, जो जगह की सुंदरता में जोड़ता है। पहाड़ी के शीर्ष से आसपास के क्षेत्रों की झलक वास्तव में यहां आने वाले लोगों से अपील करती है। साहसिक प्रेमी और चट्टान पर्वतारोही भी इस जगह इकट्ठे होते हैं।

पारसनाथ पहाड़ी
यह स्थान जैन धर्म के प्रमुख तीर्थों में से एक है। कहते हैं कि यहां पर पारसनाथ पहाड़ी पर 24 जैन तीर्थकरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसकी चोटी को शिखरजी कहते हैं। शिखरजी पर्यटन स्थल समुद्र तल से लगभग 1350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। यहां पर घूमने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते रहते हैं। चारों ओर हरियाली और ऊंचे पर्वतों को देखना अद्भुत है।

पंचघाघ जलप्रपात
खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड में स्थित पंचघाघ पांच झरनों के संयोजन से बना है। यह झरना बनई नामक प्रसिद्ध नदी के टूटने के कारण बनता है। पंचघाघ का पानी ऊंचाइयों से नहीं गिरता है, फिर भी जब कोई इसके पास आता है, तो पानी का गर्जन लगभग सुन सकता है, क्योंकि सभी पांच धाराएं चट्टानों को बहुत अशांत तरीके से टक्कर मारती हैं। पानी कम ऊंचाई से गिरता है, जिससे पर्यटकों को पानी के तेज प्रवाह में आनंद लेना काफी सुरक्षित है। ज्यादातर लोग परिवार और दोस्तों के साथ पिकनिक के लिए यहां पहुंचते हैं। झरने के आसपास प्राकृतिक सुंदरता इसे और अधिक सुंदर और शांतिपूर्ण बनाती है। यह सड़क से खूंटी जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर है।

बिरसा मृग विहार/ डियर पार्क
बिरसा मृग विहार खूंटी जिले के कालामाट्टी गांव के एक खूबसूरत जंगल में स्थित है और राजधानी रांची-खूंटी रोड पर राजधानी रांची से 20 किलोमीटर दूर है। भूगोल और वनस्पति केंद्र में प्रजनन के लिए हिरणों का प्राकृतिक आवास प्रदान करता है। मृगविहार लगभग 54 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और भौगोलिक रूप से 23011 .85 ‘उत्तरी अक्षांश और 8501 60.92’ पूर्वी अक्षांश पर स्थित है। बिरसा मृगविहार वर्ष 1987 से पर्यटकों को आकर्षित करने में कभी भी पीछे नहीं दिखा। बिरसा मृगविहार अपनी प्राकृतिक सुंदरता और प्रमुखता से रांची और खूंटी के लिए पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है।

पेरवाघाघ जलप्रपात
यह खूंटी जिले के तोरपा की फटका पंचायत में छाता नदी पर स्थित है। यहां स्पष्ट जल प्रवाह के साथ एक सुंदर झरना गिरता है। “पेरवा” शब्द कबूतर को दर्शाता है और “घाघ” का मतलब घर है, जो झरने के अंदर “कबूतरों का घर” दर्शाता है। यह अभी भी माना जाता है कि ये कबूतर झरने के अंदर रहते हैं। यह सड़क मार्ग से खूंटी जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर है।

रानी जलप्रपात
यह झरना जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर खूंटी-तमाड़ रोड पर स्थित है। यह तजना नदी पर स्थित है। रानी फाल को रेत नदी के साथ धीमी नदी के प्रवाह के लिए जाना जाता है, जो जिसके पर्यटकों के लिए सुरक्षित माना जाता है। सड़क द्वारा यह जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर है। यह खूंट-तमाड़ रोड में स्थित है।

  • सुनील पाण्डेय
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