प्रतापगढ़। जिसके प्रथम कुलाधिपति मुनि भारद्वाज थे, दूर-दूर से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे। इसी आश्रम में याज्ञवल्क्य मुनि को भारद्वाज मुनि ने श्री राम कथा श्रवण कराया था।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम वन में जाते समय माता सीता एवं शेषावतार लक्ष्मण जी के साथ चतुर्थ दिवस वहां पहुंचे थे। प्रभु श्रीराम को यहीं पर भारद्वाज मुनि ने वन जाने का मार्ग बताया और श्याम वट का दर्शन करने के लिए कहा था, जिसे अक्षय वट कहते हैं।
लंका से वापस आते समय भगवान पुष्पक विमान से समस्त वानर सेना विभीषण सुग्रीव अंगद जामवंत सहित यहां पर रुक कर विश्राम किए, पुनः श्रृंगवेरपुर जाकर निषादराज को लेकर अयोध्या भरत जी के पास गए थे।
आश्रम का अर्थ होता है जहां श्रम दूर हो जाए और मन को शांति मिले।उस आश्रम का नामकरण शासन प्रशासन द्वारा भारद्वाज पार्क प्रयागराज कर दिया गया है। जहां पर अब लोग घूमने के बहाने जाते हैं गंदगी करते हैं।
अश्लीलता का प्रदर्शन करते हैं जो न्याय संगत नहीं है तथा सनातन धर्म के विरुद्ध है। प्रयाग के संतो ने विगत दिवस इसके विरोध में प्रदर्शन भी किया।
सरकार से वैष्णव भक्तों की मांग है कि तत्काल यहां पर आश्रम का स्वरूप प्रदान किया जाए और रामकथा हेतु एक सुंदर स्थल बनाकर यहां पर सनातन धर्म से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान की जाए तथा राम कथा की व्यवस्था की जाए।
दासानुदास ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास रामानुज आश्रम संत रामानुज मार्ग शिवजी पुरम प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश।
- अवनीश कुमार मिश्रा