काल्पनिक तस्वीर
बाँदा । बाँदा में भी तब्लीगी जमात के 18 लोगों के पाये जाने की बात सामने आई है। इन सभी का मेडिकल चेकअप भी कराया गया है। जबकि दो लोगों की दिल्ली के मरकज में आयोजित तब्लीगी जमात में जाने की बात पता चली है। इनकी भी जांच हुई है। इसके अलावा बाँदा के हथौरा मदरसे में एक जमाती के बारे में महाराष्ट्र से सूचना प्राप्त हुई है कि वो दिल्ली मरकज़ के तब्लीगी जमात का हिस्सा बना था। ये वाकई बाँदा के लिए बेहद चैंकाने वाला खुलासा है।
कॅरोनाअपने पूरे शबाब पर है और विश्व का कोई भी देश अछूता नहीं है जहां ये न गया हो। पूरे विश्व में इसने जहां देखो, लाशों के ढेर लगा दिये हैं। लेकिन देश के प्रधानमंत्री ने इस आपदा को समझा और एक दिन के जनता कफ्र्यू के बाद पूरे देश को लाॅकडाउन करने में जरा भी देर नहीं की। वाकई स्थिति इतनी गम्भीर थी कि ये किसी भी विश्व युद्ध के हालात से ज्यादा विकट परिस्थिति पैदा हो गयी थी।
अब जब पूरा देश प्रधानमंत्री के उस फैसले को सम्मान से देखते हुए लाॅकडाउन को कबूल कर अपने अपने घरों में कैद हो गया ताकि इस कोरोना की कमर तोड़ी जा सके, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जो इस हेल्थ इमरजेंसी को मजाक मान बैठे थे। प्रधानमंत्री के निर्णय से जैसे उन्हें कोई मतलब ही नहीं था। इसी लिए दिल्ली के मरकज़ से वो खबरें आई, जिसे सुनकर पूरा देश दहल गया। हर कोई स्तब्ध था क्योंकि निजामुद्दीन के मरकज़ से पूरे देश में जो लोग फैले उनमें से कईयों में कोरोना पाॅजिटिव निकला। और कुछ तो कोरोना के कारण मर भी गये।
31 मार्च को जैसे ही यह संदेश पूरे देश में फैला तो वैसे ही हर मस्जिद को सर्च किया जाने लगा। तमाम जगहों से तब्लीगी जमात के लोग मिले, जिन्हें पकड़-पकड़ कर उनकी जांच कराई गयी और उन्हें आइसोलेट किया गया। बाँदा में भी वक्त को नाजुक जानकर शहर के खुटला मोहल्ले की हिरा मस्जिद में 21 मार्च से रह रहे उरई (जालौन) के 18 जमातियों की सूचना सिटी मजिस्ट्रेट को दी गयी। जिस पर उसी दिन शाम को उनका मेडिकल चेकअप कराया गया। और उन्हें आइसोलेशन की सख्त हिदायत दे दी गयी।
हमारे सूत्रों के अनुसार, पहले ये तब्लीगी जमाती बलखण्डी नाका की मस्जिद में ठहरे थे। पर जैसे ही दिल्ली के मरकज़ काण्ड का खुलासा हुआ। वैसे ही इन जमातियों को यहां से खुटला की हिरा मस्जिद में शिफ्ट कर दिया गया। और वहीं से सिटी मजिस्ट्रेट को इनके होने की जानकारी दी गयी। सवाल यह है कि जब प्रधानमंत्री ने 19 मार्च को ही पूरे देश में 22 मार्च के लिए जनता कफ्र्यू का ऐलान कर दिया था तो 21 मार्च को ये जमात उरई से बाँदा के लिए क्यों आई?
इसके बाद पूरे देश में 25 मार्च से लाॅकडाउन की घोषणा भी हुई, फिर भी एक जगह पर जमा इन जमातियों के बारे में किसी ने भी प्रशासन को सूचना देना मुनासिब नहीं समझा। आखिर क्यों? जब दिल्ली में मरकज़ काण्ड का खुलासा हुआ तो जगह जगह प्रशासन ने छापेमारी की। इसी से घबराकर 31 मार्च को खुद ब खुद प्रशासन को सूचना दी गयी ताकि इस मुसीबत में फंसने से बचा जा सके। पर सवाल ज्यों का त्यों है कि आखिर इतनी देरी क्यों?
जब पूरे देश में नवरात्रि, रामनवमी जैसे त्योहारों को सार्वजनिक तौर पर मनाये जाने पर प्रतिबन्ध है, और कहीं भी एक साथ रहने पर मनाही है। स्कूल, काॅलेज, हाॅस्टल, होटल, गेस्ट हाउस, मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च सब बन्द हैं। लोग भी अपनी लक्ष्मण रेखा को समझते हुए अपने अपने घरों के अन्दर बन्द हैं तो फिर कुछ लोग क्यों धार्मिक प्रचार-प्रसार की कोशिश में लगे थे? पता चला है कि बाँदा से धार्मिक प्रचार के गई 4 जमातें अलग-अलग शहरों में मौजूद हैं। जिसमें 8 लोग कानपुर गये हैं, 10 लोग जालौन के कोंच में गये हैं। 13 लोग सरधुना मेरठ गये हैं तो कुछ लोग शामली व सहारनपुर गये हैं।
इस पर जब हमने सिटी मजिस्ट्रेट सुरेन्द्र सिंह से जानकारी चाही तो उन्होंने बताया 18 लोगों के हिरा मस्जिद में होने की सूचना मिली तो उन्होंने जाकर उनकी मेडिकल जांच कराई और उन्हें आइसोलेट कराया। इसके अलावा बाँदा का एक शख्स यहां से 6 मार्च को दिल्ली मरकज़ गया था, जहां वो 7 से लेकर 9 मार्च तक तब्लीगी जमात में शामिल हुआ। उसे भी मेडिकल काॅलेज ले जाकर जांच का सैंपल भेजा गया है और तब तक के लिए वहीं पर उसे आईसोलेट कर दिया गया है। एक दूसरा शख्स भी दिल्ली मरकज़ के तब्लीगी जमात का हिस्सा बना था। इसकी भी जांच कराई गयी है। जबकि हथौरा मदरसे के एक शख्स के लिए महाराष्ट्र से सूचना आई है कि वो भी दिल्ली मरकज़ में होने वाली तब्लीगी जमात का हिस्सा बना था।
इन सारे मामलों को देखें तो साफ हो जाता है कि दिल्ली मरकज़ काण्ड की आंच बाँदा तक आ पहुंची हैं।
बांदा सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी भी कहते हैं,
इस मौके पर सभी को लॉक डाउन के नियमों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। देश में चल रहे शांति पूर्वक नवरात्रि और रामनवमी जैसे उत्सवों से प्रेरणा लेते हुये अपने अपने धार्मिक क्रिया-कलापों को सीमित कर लेना चाहिए। इस समय सभी को माननीय प्रधानमंत्री जी एवं माननीय मुख्यमंत्री जी की अपील को मानना चाहिए। तभी हम मिलकर कोरोना को हरा पायेंगे।
क्योंकि वहां गये लोग उस भीड़ में शामिल हुए जिसमें सैकड़ों विदेशी भी थे। हो सकता है कि उनमें से किसी को कोरोना के पाॅजिटिव लक्षण न निकलें पर लापरवाही बड़ी है। जिसकी जांच और फिर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही आवश्यक है।