भक्ति की नींव है कथा श्रवण – दिनेशाचार्य

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अयोध्या। कथा श्रवण के माध्यम से हृदय में भक्ति का उदय होता है पर श्रवण ही भक्ति की इतिश्री नहीं है श्रवण के पश्चात मनन और निदिध्यासन(बार-बार स्मरण) परमावश्यक है इसके बिना श्रवण अधूरा है।

रामपुर भगन में आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारम्भ करते हुए कथाव्यास दिनेशाचार्य जी महाराज ने बताया कि भक्ति दुकान पर मिलने वाली चीज नहीं, यह तो हमारे भीतर ही है, बस! वह सुप्त है,वह जागृत होगी भगवान की कथा के श्रवण से।

भगवान की कथा और कीर्तन दोनों मनुष्य को पवित्र करने वाले हैं वह अपनी कथा सुनने वालों के हृदय में कर्णरन्ध्र के माध्यम से आकर स्थित हो जाते हैं और व्यक्ति की अशुभ वासनाओं को नष्ट कर देते हैं।

भागवत जी भगवान का ही स्वरूप हैं भागवत श्रवण करना मतलब भगवान को श्रवण करना। स्वधाम गमन से पूर्व भगवान ने अपना तेज भागवत में रखा और कहा कि यह मेरा पता है मैं इसमें मिलूंगाl यहां मेरे भक्तगण मुझे प्राप्त कर सकेंगे। उक्त अवसर पर आयोजक सालिक राम मद्धेसिया ने सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

  • मनोज कुमार तिवारी
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