SWATI-DAYA: यूपी सरकार में मंत्री दया शंकर सिंह का पूर्व मंत्री स्वाति सिंह से 22 साल बाद तलाक हो गया। मायावती को चुनौती देकर स्वाति सुर्खियों में आईं थीं।
SWATI-DAYA: यूपी की योगी सरकार में मंत्री दयाशंकर सिंह और उनकी पत्नी पूर्व मंत्री स्वाति सिंह की राहें अब जुदा हो गईं हैं। लखनऊ की फैमिली कोर्ट ने दोनों के तलाक की मंजूरी दे दी। स्वाति सिंह ने 30 सितंबर 2022 को फैमिली कोर्ट में वाद दाखिल करके तलाक की अर्जी दी थी। लेकिन दयाशंकर सिंह तारीख पर कोर्ट नहीं पहुंच रहे थे। कोर्ट के फैसले के साथ ही 22 साल की दोनों की शादी ऑफिशियल तौर पर खत्म हो गई।
SWATI-DAYA: यह पहली बार नहीं है जब दोनों के बीच विवाद हुआ। साल 2022 से ठीक 10 साल पहले यानी 2012 में भी दोनों के बीच हुआ विवाद कोर्ट तक पहुंचा। तब भी स्वाति सिंह ने तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी दी थी। लेकिन, 2017 में मंत्री बनने के बाद पैरवी नहीं की। 2018 में दोनों पक्षों के कोर्ट नहीं पहुंचने पर केस बंद कर दिया था।
SWATI-DAYA: दयाशंकर सिंह और स्वाति दोनों यूपी की सियासत के चर्चित चेहरे हैं। स्वाति पिछली योगी सरकार में मंत्री थीं। जबकि इस बार दयाशंकर हैं। 2022 विधानसभा चुनाव से पहले ही दोनों के रिश्तों में तल्खी की बात सुर्खियां बनीं।
इन दोनों के परिवार और बीजेपी से जुड़े बताते हैं कि पति-पत्नी (दयाशंकर-स्वाति) एक ही सीट सरोजनीनगर से टिकट चाहते थे। क्योंकि यह बीजेपी की सेफ सीट थी। वर्ष 2017 में स्वाति सिंह ने पहली बार इसी सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। आपसी टकराव में 2022 में स्वाति सिंह का टिकट कट गया और दयाशंकर सिंह को बीजेपी ने बलिया सीट से उतार दिया।
वैसे तो दोनों ने लव मैरिज की थी, लेकिन कई मौकों पर दोनों के बीच मनमुटाव की खबर आती रही है। साल 2008 में स्वाति सिंह ने पति के खिलाफ मारपीट की FIR दर्ज कराई थी। इसके अलावा स्वाति सिंह का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह ये कहती हैं कि दयाशंकर उनसे बहुत मारपीट करते हैं। बहुत खराब आदमी से मेरी शादी हो गई।
गौर करें तो बीएसपी सुप्रीमो मायावती को लेकर दिए गए बयान की वजह से दयाशंकर 6 साल के लिए निलंबित हुए। इसके बाद बीजेपी ने महिला कार्ड खेला था। और राजनीति में दया की पत्नी स्वाति की एंट्री हुई थी।
SWATI-DAYA: सिर्फ यही नहीं, सितंबर 2022 में कोर्ट में उन्होंने यह भी कहा था कि वह पिछले 4 साल से पति से अलग रह रहीं हैं। वहीं, तलाक पर दयाशंकर ने भी चुप्पी तोड़ी है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “तलाक एकतरफा है। न मैंने अर्जी दी। न मैं अदालत गया। अब मैं इस मसले पर आगे नहीं बढूंगा। उनकी यानी स्वाति की राजनीतिक महत्वाकांक्षा इसकी वजह है।”
स्वाति और दयाशंकर के अफेयर और लव मैरिज से पहले अब जानिए कि साल 2016 में स्वाति की सियासत में कैसे एंट्री हुई। पहले स्वाति सिंह को भाजपा महिला प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इस तरह से स्वाति सिंह राजनीति में आईं।
बात 2016 की है। बीजेपी नेता दयाशकंर सिंह ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती को लेकर विवादित बयान दिया। दयाशकंर ने मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाते हुए उनके लिए अपशब्द बोले। इसके बाद हर तरफ उनके बयान की आलोचना होने लगी और बीएसपी से दयाशंकर सिंह पर कार्रवाई की मांग उठने लगी। बीजेपी के भी कई नेताओं ने इस बयान को गलत बताया।
उस वक्त नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा के राष्ट्रीय महासचिव थे। वो अपने कुछ समर्थकों के साथ लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर विरोध-प्रदर्शन करने पहुंचे। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने दयाशंकर वाली गलती दोहराते हुए उनकी मां, पत्नी और बेटी के लिए अपशब्द का प्रयोग किया। बस यहीं से स्वाति की सियासत में एंट्री की शुरुआत हुई।
स्वाति सिंह, नसीमुद्दीन के बयान पर गुस्सा हो गईं। दयाशंकर अपने बयान के चलते बैकफुट पर चले गए थे। लेकिन जवाब में आई नसीमुद्दीन की टिप्पणी पर स्वाति सिंह ने उन्हें आड़े हाथों लिया। उन्होंने मोर्चा संभाल लिया। स्वाति सिंह ने बसपा प्रमुख मायावती को अपने खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने की चुनौती दे डाली।
दयाशंकर और नसीमुद्दीन की इस हरकत पर अलग-अलग तरीके से कार्रवाई हुई। एक तरफ जहां बीजेपी ने दयाशंकर को 6 साल के लिए निलंबित कर दिया, तो वहीं दयाशंकर सिंह की मां की तरफ दर्ज कराई गई FIR की वजह से नसीमुद्दीन को जेल जाना पड़ा। बीजेपी दयाशंकर के रिप्लेसमेंट में महिला कार्ड खेलते हुए स्वाति सिंह को ले आई। स्वाति सिंह को बीजेपी महिला प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इस तरह से स्वाति सिंह राजनीति में आईं। 2017 में पहली बार स्वाति ने बीजेपी की सेफ सीट सरोजनीनगर से चुनाव लड़ा और जीतकर महिला कल्याण विभाग की मंत्री बनीं।
दयाशंकर छात्र राजनीति करते थे, स्वाति MBA स्टूडेंट थीं। स्वाति सिंह का परिवार मूल रूप से यूपी के बलिया से है। लेकिन पिता स्टील सिटी बोकारो में नौकरी करते थे, तो स्वाति का जन्म और लालन-पालन भी वहीं हुआ है। शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद स्वाति ने आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ का रुख किया। लखनऊ यूनिवर्सिटी में वो पहली बार दयाशंकर सिंह से मिलीं।
दयाशंकर उस समय ABVP से जुड़े थे और छात्र राजनीति में काफी सक्रिय थे। स्वाति भी धीरे-धीरे राजनीति से जुड़ीं। राजनीति के दांव-पेंच सीखते-सीखते दोनों प्यार में पड़े और फिर परिवार की सहमति से दोनों ने शादी कर ली।