एक-दो पेड़ की परमिट बनवा कर वन माफिया काट ले जाते हैं दर्जनों हरे-भरे प्रतिबंधित पेड़

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  • पर्यावरण को लेकर अवैध कटान को नहीं माना जा रहा है शुभ संकेत
  • जिम्मेदारों की मिलीभगत से लकड़ी माफिया हो रहे मालामाल
  • क्षेत्र के लोग पर्यावरण के मामले में दिन-प्रतिदिन हो रहे कंगाल
  • जिम्मेदारों ने भी अपना-अपना हिस्सा लेकर साध रखी है चुप्पी

लालगंज, रायबरेली। लालगंज व सरेनी थाना क्षेत्र एक दो पेड़़ की परमिट बनाकर दर्जनों पेड़ काटे जा रहे हैं। पर्यावरण को लेकर इसे शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है। जिम्मेदारों की मिलीभगत से लकड़ी माफिया भले ही मालामाल हो रहे हों,लेकिन इससे क्षेत्र के लोग पर्यावरण के मामले में दिन प्रतिदिन कंगाल हो रहे हैं।

क्षेत्र के जागरूक लोगों ने इस गंभीर समस्या की शिकायत जिम्मेदारों से कई बार की और कार्यवाही की मांग की किंतु नतीजा अभी तक सिफर रहा।

सूत्रों की मानें तो बीते दिनों भोजपुर गांव के पास तीन चार महुआ के पेड़ों का परमिट बनवाकर वन माफिया उसी की आड़ में लगभग आधा दर्जन से अधिक हरे प्रतिबंधित पेड़ काट ले गये और जिम्मेदारों ने भी अपना-अपना हिस्सा लेकर चुप्पी साध ली,जिससे की जाने वाली कार्यवाही शून्य रही।

वहीं सरेनी स्थित कंजास गांव में भी वनमाफिया ने शुक्रवार को जिम्मेदारों की मिलीभगत से हरे नीम के पेड़ को काटकर जमींदोज कर दिया।

क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि इसका दुष्प्रभाव उनकी आने वाली पीढियां को झेलना पड़ेगा,क्योंकि पौधरोपण की गति काटन की अपेक्षा धीमी पड़़ गई है। उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों से जांच करा कर आवश्यक कार्यवाही की मांग की है। अवैध कटान में आरा मशीन संचालक अहम भूमिका निभा रहे हैं, जिससे क्षेत्र में अंधाधुंध कटान जारी है।

वहीं विभिन्न माध्यमों से जानकारी मिलने के बाद उच्चाधिकारियों के डर से जिम्मेदार मौके पर पहुंचते तो हैं लेकिन लेनदेन कर मामले में कठोर कार्यवाही न कर वनमाफियाओं से सांठगांठ कर महज इतिश्री कर लेते हैं।

अब देखना अहम होगा कि खबर प्रकाशित होने पर जिम्मेदार किस तरह की कार्यवाही करते हैं या फिर हर बार कि तरह मामले में लीपापोती कर अवैध कटान को बदस्तूर जारी रखेंगे और इस एवज में मोटी रकम वनमाफियाओं से वसूलते रहेंगे,यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

  • संदीप कुमार फिजा
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