राम जी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों में प्रभावशाली हैं

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थाइलैंड में भी मनेगा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सवः डां परविंदर सिंह
थाइलैंड से आए राजदूत (विश्व शांति संस्थान संयुक्त राष्ट्रद्) व वर्ल्ड वाइड बहुभाषी अखबार पेज3न्यूज के एडीटर डॉ परविंदर सिंह, फ्रापलाड नारोंग शाही राजनयिक थाई पुजारी ने अयोध्या में सांस्कृतिक व कलाकेंद्र खोलने को लेकर थाईलैंड की ओर से दिया गया प्रस्ताव पत्र यह केंद्र वैश्विक पर्यटकों के लिए अवसर प्रदान करेगा।

लखनऊ/अयोध्या , आज की ग्लोबल दुनियां में सबको पता है कि राम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों में प्रभावशाली हैं। पूर्व में स्याम देश कहा जाता था उसे अब थाईलैंड कहते है। इस देश में भी अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्सुकता, उत्साह दोनों ही हैं। 22 जनवरी को यहां भी प्राण प्रतिष्ठा दिवस मनाया जाएगा। इसके अलावा उप्र में भी वाट फार राम अयोध्या संस्कृति मंत्रालय, एक कला व सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना करने को लेकर यहां प्रस्ताव दिया गया है। अपने भारत दौरे पर आए राजदूत (विश्व शांति संस्थान संयुक्त राष्ट्र) व वर्ल्ड वाइड बहुभाषी अखबार पेज3न्यूज के एडीटर डॉ परविंदर सिंह, फ्रापलाड नारोंग शाही राजनयिक थाई पुजारी ने अयोध्या के राज पारिवारिक व श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सदस्य राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र से मिलकरके इस आशय का प्रस्ताव सौंपा है। डां परविंदर सिंह ने बताया कि लक्ष्य अयोध्या शहर के समग्र विकास में योगदान देना है।

इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए उपयुक्त भूमि की तलाश है। भौतिक विकास के अलावा अयोध्या की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए संस्कृति मंत्रालय की स्थापना का प्रस्ताव दिया है। यह मंत्रालय न केवल स्थानीय समुदाय के बीच बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक आदान प्रदान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अलावा कला और सांस्कृतिक केंद्र भारतीय नागरिकों और वैश्विक पर्यटकों के लिए सुलभ कला के अवसर प्रदान करने में सहायक होगा।

डॉ परविंदर सिंह ने कहा कि राममंदिर का उद्द्घाटन विश्व के हर एक सनातनी के लिए गौरवशाली दिन है। राममंदिर का दर्शन कर व मंदिर निर्माण का साक्षी बनकर अभिभूत हूं। श्रीराम सबके आराध्य हैं। इसलिए अयोध्या में ही नहीं पूरी दुनिया में सनातनी उत्सव मनाएंगे। थाईलैंड में भी 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव मनाने की तैयारी चल रही है। डॉ बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने बताया कि हम इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाएंगे। यह पहल अयोध्या व थाईलैंड के संबंधों को नया आयाम देगी।

हिंदू धर्म का थाईलैंड के राज परिवार पर सदियों से गहरा प्रभाव रहा है। माना यह जाता है कि थाईलैंड के राजा भगवान विष्णु के अवतार हैं। इसी भावना का सम्मान करते हुए थाईलैंड का राष्ट्रीय प्रतीक गरुड़ है। थाईलैंड में राजा को राम कहा जाता है। राज परिवार अयोध्या नामक शहर में रहता है। ये स्थान बैंकॉक से कोई 50.60 किलोमीटर दूर होगा। यहां पर बौद्ध मंदिरों की भी भरमार है जिनमें भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं में मूर्तियां स्थापित हैं। क्या ये कम हैरानी की बात है कि बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग अपने राजा को राम का वंशज होने के चलते विष्णु का अवतार मानते हैं। इसलिए थाईलैंड में एक तरह से राम राज्य है। वहां के राजा को भगवान राम का वंशज माना जाता है। थाईलैंड में 94 प्रतिशत आबादी बौद्ध धर्मावलंबी है। फिर भी इधर का राष्ट्रीय चिन्ह गरुड़ है। हिंदू पौराणिक कथाओं में गरुड़ को विष्णु की सवारी माना गया है।

वहां का राष्ट्रीय ग्रंथ रामायण है। वैसे थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध के मानने वाले बहुमत में हैं, फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रंथ रामायण है। जिसे थाई भाषा में ‘राम-कियेन’ कहते हैं, जिसका अर्थ राम-कीर्ति होता है, जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित है। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक के सबसे बड़े और भव्य हॉल का नाम ‘रामायण हॉल’ है। यहां पर राम कियेन पर आधारित नृत्य नाटक और कठपुतलियों का प्रदर्शन प्रतिदिन होता है। राम कियेन के मुख्य पात्रों में राम (राम), लक (लक्ष्मण), पाली (बाली), सुक्रीप (सुग्रीव), ओन्कोट (अंगद), खोम्पून ( जाम्बवन्त), बिपेक ( विभीषण), रावण, जटायु आदि हैं।

नवरात्र पर बैंकॉक के सिलोम रोड पर स्थित श्री नारायण मंदिर थाईलैंड के हिंदुओं का केंद्र बन जाता है। यहां के सभी हिंदू इधर कम से एक बार जरूर आते हैं, पूजा या फिर सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए। इस दौरान भजन, कीर्तन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान जारी रहते हैं। दिन-रात प्रसाद और भोजन की व्यवस्था रहती है। इस दौरान दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती जी की एक दिन सवारी भी मुख्य मार्गो से निकलती है। इसमें भगवान गणपति, कृष्ण, सुब्रमण्यम और दूसरे देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी सजाकर किसी वाहन में रखा गया होता है। इस आयोजन में हजारों बौद्ध भी भाग लेते हैं। ये सवारी अपना तीन किलोमीटर का रास्ता सात घंटे में पूरा करती है।

इस तरह इन दोनों देशों भारत और थाईलैंड के बीच अद्भुद धार्मिक, सामाजिक समानता एक दुर्लभ व्यवस्था है। थाईलैंड के राजा राम दशम व अयोध्या के राजा राम दोनों के बीच नए ढंग से तारतम्य होने से दोनों ही देशों को हर तरह का लाभ होना है।

रिपोर्ट- संदीप रिछारिया

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