बॉलिवुड के सबसे टैलंटेड कलाकारों में से एक माने जाने वाले इरफान खान आज हमारे बीच मे नही है उनके यूं अचानक चले जाने से लाखो फैन्स को झटका लगा है। इरफान लंबे समय से कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे थे।
लंदन से इलाज करवा कर आये इरफान ने कभी किसी के सामने बीमारी के हावी होने वाले भाव नही दिखाए जिसकी वजह से लोगो को उनके कैंसर की गम्भीरता का अंदाजा नही लगा। जैसे ही ख़बर बाहर निकली पूरे बॉलीवुड में शोक की लहर फैल गई। द रिपोर्ट्स टुडे की तरफ से आज हम आपको उनकी कुछ चुनिंदा फिल्मों और उनके कुछ अनजाने पहलुओ से रूबरू कराएंगे।
कौन थे इरफान
इरफान खान टायर व्यापारी जागीरदार खान के घर मे पैदा हुए जो एक पठान परिवार था लेकिन उनके पिता हमेशा उन्हें कहते थे कि पठानों के घर मे पंडित पैदा हो गया है। दरअसल वो मुस्लिम परिवार से तालुक रखने के बाद भी कभी मीट मछली नही खाते थे। उनके पिता उन्हें अपने साथ जब भी शिकार पर ले जाते थे तो वो कहते थे कि उन्हें जंगल का माहौल बहुत अच्छा लगता है। लेकिन आप जानवरो को मत मारिये उनके जो परिवार है वो क्या सोचेंगे। पढ़ाई के बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया किंतु एडमिशन के कुछ समय बाद उनके पिता जी का देहांत हो गया और उन्हें घर से मिलने वाली मदद बन्द हो गई। कठिन और विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने वहां मिलने वाली वजीफे की रकम से किसी तरह कोर्स को पूरा किया। अपनी ही क्लासमेट के साथ 1995 में शादी की।
बेहद बिंदास थे इरफान
इरफान की गिनती बिंदास लोगो मे होती थी। उन्हें किसी के गलत को गलत कहने में रत्ती भर समय नही लगता था। इस आदत की वजह से कई बार उनका नुकसान भी हुआ लेकिन उन्होंने कभी विषम परिस्थितियों में भी समझौता नही किया। इरफान चुनिंदा स्क्रिप्ट पर काम करने के लिए राजी होते थे और फिर उस किरदार में इस तरह रच बस जाते थे कि लोग कुछ दिन तक उनका असली नाम भूल कर किरदार के नाम से आवाज देने लगते थे। खिलाड़ी से डाकू बने पान सिंह तोमर के किरदार में उन्होंने कई अवार्ड भी जीते थे। इसके अलावा हासिल, लाइफ आफ पाई, तलवार, पीकू, लंच बॉक्स और कई अंग्रेजी फिल्मों जैसे स्पाइडर मैन और जुरासिक वर्ल्ड के लिए भी उन्होंने अवार्ड छीन लिया था। हॉलीवुड अभिनेता टॉम हैंक्स ने उनकी सराहना करते हुए एक बार कहा था कि इरफान की आंखें भी अभिनय करती हैं। ये उनके एक्टिंग का दम था कि मल्टी स्टारर फिल्मों में उनके सामने वाला नाम कितना भी बड़ा क्यों न हो वो अपनी अलग इमेज बना ही लेते थे।
इरफान के वो डायलॉग जो आप चाह कर भी नही भूल सकते
इरफान के अभिनय के साथ उनके डायलॉग बोलने का अंदाज ऐसा था कि आप चाह कर भी नही भूल सकते। रिपोर्ट्स टुडे उनके कुछ चुनिंदा और अविस्मरणीय डायलॉग के साथ उन्हें श्रद्धांजलि समर्पित करता है।
“ये शहर हमें जितना देता है, बदले में कहीं ज्यादा हम से ले लेता है।” लाइफ इन ए मेट्रो
“डेथ और शिट, किसी को, कहीं भी, कभी भी, आ सकती है।” पीकू
“एक फ्रांस बंदा, जर्मन बंदा स्पीक रॉन्ग इंग्लिश, वी नो प्रॉब्लम, एक इंडियन बंदा से रॉन्ग इंग्लिश, बंदा ही बेकार हो जाता है जी।” हिंदी मीडियम
“तुम मेरी दुनिया छीनोगे, मैं तुम्हारी दुनिया में घुस जाऊंगा।” मदारी
“आप जिस्म है तो मैं रुह, आप फानी में लफानी।” हैदरी
“बडे शहरों की हवा और छोटे शहरों का पानी, बड़ा खतरनाक होता है।” द किलर
“किसी भी बेगुनाह को सज़ा मिलने से अच्छा है दस गुनहगार छूट जायें।” तलवार
“हमारी तो गाली पर भी ताली पड़ती है।” साहेब बीवी और गैंगस्टर
“गलतियां भी रिश्तों की तरह होती हैं, करनी नहीं पड़ती, हो जाती हैं।” डी-डे
“बीहड़ में बागी होते हैं, डकैत मिलते हैं पार्लियामेंट में।”
पान सिंह तोमर
आखिरी फ़िल्म का किया ऑनलाइन प्रमोशन
इरफान खान की फिल्मों से ज्यादा उनके प्रमोशन का लोगो को इंतजार रहता था। उनके प्रेजेंटेशन और लोगो से मिलने का स्टाइल इतना जबरदस्त होता था कि दुश्मन भी इस हुनर की तारीफ करने से नही चूकते थे। लेकिन इस बार बीमारी की वजह से आखिरी फ़िल्म इंग्लिश मीडियम का प्रमोशन वो नही कर पाए। उन्होंने अपनी फिल्म के लिए आनलाइन प्रमोशन जारी किया और कहा कि आपसे मिलना चाहता हूं लेकिन शरीर मे मौजूद कुछ कीटाणु इसकी इजाजत नही दे रहे हैं। रिपोर्ट्स टुडे इरफान की जिंदगी से जुड़े पहलू आप तक पहुँचाता रहेगा।