Opposition Meeting: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में विपक्ष की दो दिवसीय मेगा बैठक 17-18 को है। बैठक में बीजेपी को रोकने पर मंथन होगा।
Opposition Meeting: विपक्षी एकता की बढ़ती ताकत को दिखाते हुए बेंगलुरू में होने वाली बैठक में 26 दलों के शामिल होने की उम्मीद है। यह संख्या पटना में हुई बैठक से 9 अधिक है। विपक्षी नेता सोमवार शाम एक अनौपचारिक बैठक में शामिल होंगे।
Opposition Meeting: देश की विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेताओं की आज से बेंगलुरू में दो दिवसीय एकता बैठक हो रही है। यह इन नेताओं की दूसरी बैठक होगी। इससे पहले 23 जून को पटना में 17 दल एकजुट हुए थे।
इस मुद्दे से जुड़े लोगों ने रविवार को कहा कि यहां तलाश की जाने वाली राजनीतिक योजनाओं में राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं, लेकिन विपक्षी दलों के बीच संभावित सीट बंटवारे का निर्णय संबंधित राज्य इकाइयों पर छोड़ दिया जाएगा।
Opposition Meeting: विपक्षी एकता की बढ़ती ताकत को दिखाते हुए बेंगलुरू में कुल 26 दलों के शामिल होने की उम्मीद है। यह संख्या पटना में हुई बैठक से नौ अधिक है। बताया जा रहा है कि विपक्षी नेता एक अनौपचारिक बैठक में शामिल होंगे। इसके बाद सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया रात्रिभोज आयोजित करेंगे और मंगलवार सुबह 11 बजे से एक मैराथन बैठक होगी।
बैठक में शामिल होने वाली यह हैं नई पार्टी
- मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके)
- कोंगु देसा मक्कल काची (केडीएमके)
- विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके)
- रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी)
- ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक
- इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
- केरल कांग्रेस (जोसेफ)
- केरल कांग्रेस (मणि)
Opposition Meeting: इसके अलावा कृष्णा पटेल का अपना दल (कामेरावादी) और एमएच जवाहिरुल्ला के नेतृत्व वाली तमिलनाडु की मनिथानेया मक्कल काची (एमएमके) को भी निमंत्रण भेजे जाने के बाद मोर्चे में शामिल होने की संभावना है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में उन सामान्य मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है, जिन्हें हासिल किया जा सकता है।
पार्टियों को भविष्य में क्या करने की आवश्यकता है?
- वर्तमान राजनीतिक स्थिति का आकलन करना।
- आकलन के बाद आगामी संसद सत्र के लिए रणनीति बनाएं।
- समस्याओं पर रोडमैप होगा तैयार
Opposition Meeting: मंगलवार को मुख्य बैठक से पहले सोमवार शाम को अनौपचारिक बैठक होगी। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टियां उन साझा कार्यक्रमों पर गौर करेंगी, जिन पर काम किया जा सकता है। जैसे- आम मुद्दे जिन्हें उजागर किया जाना चाहिए और आने वाले समय के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा।
उन्होंने कहाकि हम संसद के मॉनसून सत्र के लिए भी चर्चा करेंगे और एक रणनीति विकसित करेंगे। मणिपुर में हिंसा, बालासोर में ट्रेन दुर्घटना, संघीय ढांचे पर हमला और राज्यपालों की भूमिका जैसे मुद्दे सभी के लिए महत्वपूर्ण मुद्दे हैं।
Opposition Meeting: मीडिया रिपोर्ट की माने तो बेंगलुरू में एकजुट होने वाले कई विपक्षी नेता स्पष्ट हैं कि यह बैठक सीट-बंटवारे समझौते पर चर्चा करने के लिए आदर्श मंच नहीं है। एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा कि सीट बंटवारे का काम चुनाव के करीब किया जाएगा।
राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी सीट-बंटवारे समझौते पर निर्णय लेना अनुचित होगा, क्योंकि अधिकांश पार्टियां वास्तव में अखिल भारतीय गठबंधन पर नज़र नहीं रख रही हैं। नेताओं का कहना है कि सीट-बंटवारे का समझौता राज्य स्तर पर किया जाना चाहिए।
पिछली बैठक की तरह बेंगलुरू चर्चा का भी कोई तय एजेंडा नहीं होगा। हालांकि, कहा जा रहा है कि पटना बैठक के राजनीतिक पहलुओं के बाद बेंगलुरू में अधिक मुद्दों पर गौर किया जा सकता है। कांग्रेस ने बैठक की रूपरेखा तैयार की है। उसके महासचिव केसी वेणुगोपाल ने साफ कह दिया है कि प्रमुख विपक्षी दल दिल्ली अध्यादेश का समर्थन नहीं करेगा।
Opposition Meeting: उन्होंने कहाकि मुझे लगता है कि आप कल बैठक में शामिल होंगे। जहां तक दिल्ली अध्यादेश का सवाल है, हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है। हम इसका समर्थन नहीं करने जा रहे हैं।
वहीं, कांग्रेस ने रविवार को घोषणा की कि उसने हमेशा लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों तथा स्थानीय निकायों के संवैधानिक अधिकारों और जिम्मेदारियों पर मोदी सरकार के हमले के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। यह हमला सीधे तौर पर या राज्यपालों जैसे नियुक्त व्यक्तियों की ओर से होता है। कांग्रेस पार्टी पहले भी इसका विरोध कर चुकी है और इसका विरोध करना जारी रखेगी।