युवा विकास समिति के अध्यक्ष सिद्धार्थ त्रिवेदी ने कहा है कि न अपील, न वकील न दलील,
रायबरेली- आज़ाद भारत का रौलेट एक्ट है एससी/एसटी एक्ट। इसमें निर्दोष के बचाव का प्रावधान नहीं।बिना जांच के कार्रवाई न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। अध्यादेश का दर्द मिटाने को फिर कोई अफीम जल्द लांच की जाएगी।बिना सवाल पूछे डुगडुगी बजाने वालों को यही मिलेगा।
वोट बैंक और सत्ता के लालच में फंसी हैं सभी पार्टियां।इनके लिए सत्ता पाना ही मुख्य उद्देश्य है।इसीलिए राजनीतिक दलों का समर्थन और विरोध मुद्दों पर होना चाहिए।
गुटों, धर्म, जाति और अलग-२विचारधाराओं में बँटी आम जनता सियासी भेड़ियों की वोट बैंक व तुष्टिकरण की राजनीति के आगे बेबस नजर आती है और हर पांच साल बाद सियासतदानों द्वारा ठग ली जाती है।
इसी मुकाम पर आकर लगता है कि सब मिले हुए हैं। उन्होंने शाहबानो सम्बंधी सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटा था इन्होंने #एससी/#एसटीएक्ट पर बदल कर कोर्ट को विवश कर दिया। वोट के लिए कुछ भी करेंगे और बातें समता, विकास की करेंगे। ऐसा ही सही है तो भ्रष्टाचार प्रकरणों में भी यही प्रक्रिया हो।
ऐसे कानून से सिर्फ वैमनस्य बढ़ सकता है सौहार्द नहीं। ब्लैकमेलिंग हो सकती है। इससे दलितों का कोई भला नहीं। उन्हें हथियार की तरह प्रयोग किया जाएगा। सभ्य समाज का लक्षण नहीं है बिना सामने वाले को पक्ष रखने का मौका दिए कार्रवाई।
बीच बीच में जब पछुवा हवा चलती है
#एससी/#एसटीएक्ट और #आरक्षण का दर्द भाई लोगों में उठता है और थोड़ा बहुत कुड़कूड़ाते हैं। कुछ दिन बाद जाकर वेताल की तरह फिर से उसी डाल पर लटक जाते हैं।नेता और राजनीतिक दल का उद्देश्य सिर्फ सत्ता होती है। ये बात भूले कि चाबुक पड़ी।
फिलहाल आम जनता को जागरूक होना पड़ेगा और यह सोचना पड़ेगा कि वह जिन्हें वोट कर रहे हैं वह आम जनता के हिट के लिए सोच रहे हैं या सिर्फ अपनी सत्ता बचाये रखने की घटिया राजनीतिक हथकंडे अपनाने में ही लगे हैं।
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