अलाव की लकड़ी जलानी हैं तो रखिये खुद की व्यवस्था

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रायबरेली-अचानक बढ़ी ठंड से आम जनमानस ही नहीं, पशु-पक्षी भी बेहाल हैं। वहीं लोगों को ठंड से राहत दिलाने के नाम पर कुछ समाजसेवियों को छोड़ दें तो सारे आदेश हवा हवाई और पूरी तरह बेसुध पड़े है। शहर के विभिन्न स्थानों पर नगर पालिका परिषद द्वारा जलवाए जा रहे अलावों की हालत यह है कि गरीबों व राहगीरों के लिए जलने वाले अलाव में आग तो दूर धुंआ तक नहीं उठ रहा है। गीली लकड़ी की आपूर्ति कर नपा कर्मी ही अपना हाथ सेंकने में जुटे हैं, जबकि नपा अधिकारी इससे अंजान हैं। वही बात करी जाए तो रिपोर्टिंग चौकिया के पास जो आलाव की लड़कियां गिराई गई है वह भी पूरी तरह से गीली होती है ,सबसे बड़ी बात जो लड़कियां गिराई जाती हैं वह पर्याप्त मात्रा में नहीं होती है जिसके कारण रात में रिपोर्टिंग चौकी में डयूटी में तैनात पुलिस कर्मियों को ठंड का सामना करना पड़ता है।

आपको बताते चले कि दिसंबर माह के दूसरे पखवारे से ठंड ने कहर बरपाना शुरू कर दिया। नपा अधिकारियों को अलाव की याद आई तो ये वही बात हुई कि प्यास लगने पर कुंआ खोदने वाली कहावत चरितार्थ करते हुए कड़ाके की ठंड में लकड़ी की तलाश शुरू हो गई। प्रशासनिक अमले ने भी आनन-फानन में अलाव जलवाने के आदेश जारी कर दिए, लेकिन हकीकत यह रही कि लोग कागज, टायर व कूड़े के ढेर में आग लगाकर ठंड से लड़ते नजर आए। दो दिनों से मौसम ने करवट ली और ठंड के साथ गलन भी बढ़ गई और लोगों को अलाव की आवश्कता महसूस होने लगी, तब नगर पालिका द्वारा जलवाए जा रहे अलावों को पोल खुली। ठंड से परेशान लोगों ने अलाव की लकड़ी जलाने के काफी प्रयास किए, लेकिन सारी कोशिशें व्यर्थ रहीं। कारण कि लकड़ी गीली थी। उसे देखने से लग रहा था कि तत्काल पेड़ काटा गया है। यही हालत जिला अस्पताल के इमरजेंसी पर रही। रिपोर्टस टुडे टीम ने शहर के बस अड्डा, कचहरी चौराहा, सिविल लाइन चौराहा, रेलवे स्टेशन रोड पर जलने वाले अलावों का जायजा लिया। सभी स्थानों पर नपा द्वारा डाली गई लकड़ियां गीली दिखी। कुछ स्थानों पर लोगों ने सूखी लकड़ी खरीद कर अलाव जला रखा था।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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