अवैध कटान का खेल

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विभाग, पुलिस और लकडकट्टो मे बना मेल के खेल मैं प्रतिबंध आम हुआ महुआ के पेड़ को किया जमी दोज , बीकापुर क्षेत्र में बदस्तूर जारी है अवैध कटान का खेल। 5 जनवरी 2024 को कोतवाली बीकापुर क्षेत्र के नंदन के पूर्व में आम और महुआ के पेड़ पर चला लकड़ी कट्टो का आरा।

बीकापुर कोतवाली पुलिस क्षेत्र के महावा नंदन का पुरवा गांव में हर महुआ के पेड़ तथा हर आम की पेड़ पर लड़ कार्टून द्वारा आर चला कर पुलिस व वन विभाग को चिढ़ाते कुल्हाड़ी और टंगारा के अलावा नवनिर्मित लकड़ी काटने की मशीन के द्वारा जमी रोज कर पर्यावरण को जबरदस्त चूना लगाते हुए अच्छी खासी मुनाफे पर बेच दिया गया सूत्रों के मुताबिक बताया गया कि लकड़कतों द्वारा पुलिस ऑफ वन विभाग को पेड़ कटवाने के लिए निर्धारित रिश्वत भी दी गई जिसकी वजह से वहां पर ना तो वन विभाग दिखा और ना ही बीकापुर कोतवाली का कोई दबदबा दिखाई पड़ा। रिश्वत के लालच में संबंधित दोनों विभागों ने लकड़कतों को पूरी छूट दे रखी है।

पेड़ों पर टेगारी और कुल्हाड़ी से प्रहार कर हरे आम व महुआ के पेड़ को नेस्तना बूद कर गंतव्य स्तर तक भेज दिया किंतु पुलिस तथा वन विभाग को जानकारी होने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी तरह कितने क्षेत्र में दिनो में हरे-भरे प्रतिबंध फलदार व कीमती पेड़ो की कटान धडल्ले से जारी है।

लकड़कटृ जिसे आज के जमाने में वन माफिया कहां जाता है वे इतने शातिर किस्म के होते है कि कितना बड़ा पेड़ हो वह महज 10 मिनट में नेस्तनाबूत और दो घंटे में पेड़ का नामो निशान मिटाने के साथ लकड़ी स्थानीय आरा मशीनो पर फेक देते है। वही आरा मशीन संचालक भी कम नही है रातो रात लकड़ी में से कीमती हिस्सा निकाल कर माल ट्रको से बाहर भेज देते है। देखा जाए तो कुछ माह से क्षेत्र में लकड़ी का अवैध कटान जोरो पर है कुछ का तो वन विभाग परमिट देता है तो कुछ उसकी आड़ में काटे जा रहे है। यदि जिम्मेदार समय रहते इस तरफ लकड़कतों से रिश्वत लेकर ध्यान नही देते बल्कि शिकायत होने पर उच्च अधिकारियों को भी गुमराह करते हैं तो आने वाले समय में वृक्षो की कुछ प्रजातियां विलुप्त हो जाएगी। बेस कीमती तथा शासन द्वारा प्रतिबंधित पेड़ो को काटने व काटने वाले के ऊपर कार्यवाही कराया जाना तू दूर की बात है उक्त दोनों विभाग उन्हें बचाने में लग जाते हैं।

सूत्रों के मुताबिक जानकारी स्थानीय पुलिस तथा स्थानीय बन कर्मियों को भी है फिर भी संबंधित कर्मी चुप्पी साथ रखे हैं। समाचार लिखे जाने तक अभी तक किसी भी विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई लकड़कट्ट खुलेआम बेखौफ होकर प्रतिबंधित हरे पेड़ों की कटान रिश्वत के बल पर काटकर पर्यावरण व राजस्व को जबरदस्त चूना लगा रहे हैं। जिसमें पुलिस हुआ वन विभाग के भी शामिल होने से नकारा नहीं जा सकता। इस बाबत पुलिस व बन बनविभाग के कर्मियों से जब हमारी टीम ने जानकारी चाही तो दोनों विभागों के कर्मी मामले में अभिज्ञता जता रहे थे। शासन जितना ही वृक्षों के पोषण के लिए धन खर्च कर रही है उससे ज्यादा झोलाछाप लकड़ कट्ट शासन प्रशासन को ठेंगा दिखा रहे हैं। उक्त मामलों में लकड़ी कट्टो ने भी पेड़ कटवाने की बात स्वीकारी है।

रिपोर्ट- मनोज कुमार तिवारी

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