नई दिल्ली। पार्सल ट्रेनों के जरिए दिल्ली से कोलकाता तथा खड़गपुर से बालासोर गए रेलवे सुरक्षा बल के 28 में से नौ जवान कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इन जवानों को संक्रमण कहां और किन परिस्थितियों में हुआ, इसका पता लगाने के लिए रेल मंत्रालय ने एक तथ्यान्वेषी समिति का गठन किया है।
दक्षिण-पूर्व रेलवे के खड़गपुर डिवीजन से संबद्ध ये 28 जवान हथियार और गोला बारूद लेने के सिलसिले में कोलकाता से दिल्ली आए थे और पार्सल ट्रेन से हावड़ा और बस से खड़गुपर गए थे। इनमें एक जवान ने दूसरी पार्सल ट्रेन से खड़गपुर से बालासोर की यात्रा की थी, जहां उसमें कोरोना के लक्षण पाए जाने के बाद संकमण की पुष्टि हुई।
रेल मंत्रालय के विशेष प्रवक्ता ने बताया कि आरपीएफ के उक्त जवान दक्षिण-पूर्व रेलवे के लिए हथियार और गोला-बारूद लेने के सिलसिले में 19 मार्च को ट्रेन नंबर 12443 से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे और 20 मार्च को आनदं विहार स्टेशन पर उतरे थे और उसी रोज आरपीएफ की दयाबस्ती स्थित 6 बटालियन चले गए थे। लेकिन लॉकडाउन के कारण 23 मार्च को यात्री ट्रेन सेवाएं बंद हो गईं लिहाजा जवानों को 12 अप्रैल तक वहीं रुकना पड़ा।
चूंकि 14 अप्रैल को पहले चरण का लॉकडाउन समाप्त होना था, लिहाजा सभी जवानों को 13 अप्रैल को तड़के एहतियाती उपायों के साथ पार्सल ट्रेन के जरिए वापस कोलकाता भेजने का फैसला किया गया। 14 अप्रैल को सुबह करीब पौने नौ बजे जवान हावड़ा पहुंचे जहां से उन्हें बस के जरिए खड़गपुर पहुंचाया गया। टीम के कुछ जवानों को रास्ते के ठिकानों पर भी उतारा गया था। यात्रा के फौरन बाद सभी जवानों को अपनी-अपनी बैरक में क्वारंटाइन कर दिया गया था।
प्रवक्ता के अनुसार उक्त आरपीएफ टीम के एक जवान ने खड़गपुर से एक दूसरी पार्सल ट्रेन पकड़ी थी और 14 अप्रैल की रात को बालासोर पहुंचा था। जहां उसे भी क्वारंटाइन किया गया। लेकिन 15 अप्रैल को इसे हल्का बुखार होने पर बालासोर के सरकारी अस्पताल ले जाया गया। 16 अप्रैल को जांच हुई और 20 अप्रैल को कोरोना की पुष्टि होने पर इस टीम के बाकी सभी जवानों की जांच भी कराई गई। इनमें 24 की रिपोर्ट प्राप्त हो गई है जिनमें से 8 पॉजिटिव पाए गए हैं। बाकी चार जवानों की जांच रिपोर्ट का इंतजार है।
प्रवक्ता के अनुसार पार्सल ट्रेने 31 मार्च से ही चलाई जाने लगी थीं। चूंकि दक्षिण-पूर्व रेलवे में गोला-बारूद की कमी थी, इसलिए जवानों को वापस भेजा जाना जरूरी समझा गया था। लॉकडाउन के दौरान ड्यूटी पर तैनात जवानो की आवाजाही पर रोक नहीं है। मंत्रालय राज्य सरकार के साथ मिलकर इस बात का पता लगाने का प्रयास कर रहा है कि आखिर इन जवानों को संक्त्रमण कहां और किस व्यक्ति या समूह से हुआ। क्योंकि ट्रेन यात्रा के दौरान ये किसी बाहरी व्यक्ति के संपर्क में नहीं आए थे और इन्होंने सभी दिशानिर्देशों का पालन किया था।