रिपोर्ट- सुधीर त्रिवेदी
बांदा। जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की अब कोई कमी नहीं, फिर भी शरीर में प्राणवायु की कमी हो जाने से मरीज काल के गाल में समा रहे हैं। जुकाम-बुखार और खांसी के साथ अचानक से ऑक्सीजन लेवल कम हो जाने के कारण बीते 24 घंटों के दौरान जिला अस्पताल में तीन महिलाओं समेत दस लोगों ने दम तोड़ दिया। मरने वालों में दो को छोड़ आठ ऐसे हैं जिनकी उम्र 60 वर्ष से भी कम है।
ऑक्सीजन का उत्पादन सीमित होने और खपत तेजी से बढ़ने के कारण कुछ दिनों पहले जिला अस्पताल समेत राजकीय मेडिकल कॉलेज में एकबारगी ऑक्सीजन की कमी हो जाने से त्राहि-त्राहि मच गई थी। शासन के प्रयास से ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ा और अब बीते दो-तीन दिनों से अब ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। इसके बावजूद ऑक्सीजन की कमी से मरने वालों के आंकड़े में अभी कमी होती नहीं दिख रही। डॉक्टरों की मानें तो जुकाम, खांसी या बुखार के साथ ही इन दिनों एक विशेष प्रकार का निमोनिया हो रहा है, जो सीधे इंसान के फेफड़ों को प्रभावित कर रहा है। जब तक लोग बीमारी को गंभीरता से लेते हैं और इलाज शुरू करते हैं तब तक शरीर में ऑक्सीजन का लेवल तेजी से घटना शुरू हो जाता है। शरीर में एकबारगी होने वाली ऑक्सीजन की कमी की पूर्ति के लिये तीमारदार कोरोना के भय से मरीज को जिला अस्पताल या राजकीय मेडिकल कॉलेज लाने में डर रहे हैं। यही वजह है कि मरीज को प्राणवायु मिलने में और भी देरी हो जाती है। तमाम लोग तो घर या फिर अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) पहले से कम होने के कारण फिर मरीज को बचा पाना संभव नहीं हो पाता। अंजली (35) पत्नी अजय निवासी ग्राम तिंदवारा, गायत्री (56) पत्नी बालेंद्र निवासी मोहल्ला इंदिरानगर, रमदइया (60) मोहल्ला झील का पुरवा, करन (30) पुत्र सूरज पाल निवासी मोहल्ला शंभू नगर, मुन्ना सिंह (55) पुत्र भगवानदीन निवासी ग्राम तिंदवारा, गुड्डन (35) पुत्र रामशरण निवासी कस्बा नरैनी, रामानंद (30) पुत्र गिरधारी निवासी ग्राम छनियापुरवा जिला पन्ना मध्य प्रदेश, मो. नजी (54) पुत्र मुन्ना निवासी मोहल्ला गूलरनाका, रशीद (80) पुत्र नजीर अहमद निवासी मोहल्ला स्वराज कॉलोनी, राजेंद्र (55) पुत्र रामजियावन निवासी ग्राम बगेहटा थाना जसपुरा ऐसे बदनसीब मरीज हैं, जो किसी तरह बीते 24 घंटे के दौरान इलाज के लिये जिला अस्पताल तक तो पहुंच गये और उन्हें तत्काल ऑक्सीजन भी मुहैया हो गई, लेकिन फिर भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
ऑक्सीजन लेवल घटने से काल के गाल में समा गये दस और मरीज
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