…और जब प्रभु श्रीराम ने तोड़ दिया धनुष

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मौदहा हमीरपुर
खन्ना क्षेत्र के ग्राम सिरसी खुर्द के रामजानकी मन्दिर में शतचंडी महायज्ञ श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर आज को धनुष यज्ञ की लीला से लेकर सीता के स्वयंवर और फिर लक्ष्मण-परशुराम संवाद की लीला का मंचन किया गया। आरंभ धनुष यज्ञ की लीला से हुआ। आरंभ में राजा जनक राजाआें को भरी सभा में प्रतिज्ञा सुनाते हुए कहते हैं कि शिव के दिए हुए धनुष को जो राजा तोड़ेगा, मेरी सीता उसी को पति के रूप में वरण करेगी। धनुष तोड़ने पर सभी असफल रहते है। ऐसे में राम, लक्ष्मण को लेकर पहुंचे गुरु विश्वामित्र, राम को आदेश देते हैं कि वे शिव के धनुष को तोड़ें। आदेश पाकर राम, शिवजी के धनुष को तोड़ देते हैं।


धनुष टूटने के बाद प्रतिज्ञा के मुताबिक जनकसुता सीता, राम के गले में वरमाला डाल देती हैं। उधर शिवजी के धनुष के टूटने की खबर सुनते ही क्रोध में भरे परशुराम कहते हैं धनुष किसने तोड़ा। लक्ष्मण बताते हैं कि धनुष श्रीराम ने तोड़ा है। इसके बाद लक्ष्मण और परशुराम के बीच तीखा संवाद होता है। जिसमे लक्ष्मण जी ने कहा बचपन में न जाने कितने धनुष टूटे है तब तो किसी ने कुछ नही कहा और आप इतने पुराने धनुष पर विलाप कर रहे है। इस मौके पर श्यामबाबू गुप्ता ,आशाराम सिंह,शिवनारायण पाल,शिवराम सिंह,जगत प्रसाद,भवानीदीन सिंह आदि।

एमडी प्रजापति रिपोर्ट

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