कच्ची शराब को कुटीर उद्योग घोषित करे सरकार

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तीर्थ नगरी के सीतापुर और नयागांव में पुलिस की सरपरस्ती में बिक रही है कच्ची शराब

चित्रकूट। कोरोना काल अब पूरी रवानी के साथ चल रहा है। अनलॉक के पहले दौर के साथ ही समाजसेवियों व सरकार ने फ्री का भोजन बाँटना बन्द कर दिया। बाहर से लेबर को मनरेगा में कितना काम मिला यह तो प्रधान और सचिव ही जानते है। वैसे लाकडाउन के समय मन्दाकिनी मैया के आँचल से समाजसेवियों की पहल के बाद लगभग डेढ़ लाख बालू और मिट्टी से भरी बोरिया तो निकाल दी गई पर सच्चाई यह है कि डीएम चित्रकूट के बार-बार नदी में बोरिया छोड़कर अपना पेमेंट लेकर चंपत होने वाले ठेकेदार व पेमेंट निकलवाने वाले अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर पेमेंट वसूलने की कार्यवाही का क्या हुआ यह कोई बताने को तैयार नही।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि धर्मनगरी में अब पुलिस ने गरीबों को रोजगार उपलब्ध कराने का नायाब तरीका खोज लिया है। यह तरीका शराब की बिक्री का है। यूपीटी के पीछे मलकाना रोड, मलकाना, रामायण मेला के पीछे सहित आधा दर्जन स्थानों में शराब की बिक्री पान,गुटके के डिब्बो में चल रही है। दुकान संचालकों के कहना है कि पुलिस के कारण यह रोजगार उन्हें प्राप्त हो रहा है।

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