कर्म का फल बिना भोगे सौ कल्प में भी क्षय नहीं होता

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मान्धाता। क्षेत्र में बासूपुर गांव में चल रहे आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस में कथा व्यास आचार्य विनीत कृष्ण द्विवेदी जी महाराज ने शबरी के भगबान प्रेम की कथा सुनाई उसके बाद बतलाया कि जीव को इस संसार में किस प्रकार का कर्म करना चाहिए जिससे कि भगवान की प्राप्ति हो सके और मोक्ष की ओर बढ़ा जा सके और उन्होंने बताया कर्म का फल बिना उपभोग किए सौ करोड़ कल्प में भी क्षय नहीं होता।
उन्होंने बताया जिस प्रकार हजारों गायों के मध्य में बछड़ा अपनी माता गाय को पहचान लेता है उसी तरह मनुष्य द्वारा किए गए कर्म कर्ता के साथ ही जाते हैं,अर्थात उसी को अच्छा या बुरा फल प्रदान करते हैं।
उन्होंने सती प्रसंग के माध्यम से यह भी संदेश दिया कि किस प्रकार से पातिव्रत धर्म का निर्वहन किया जा सकता है।
इस अवसर पर मुख्य यजमान सुबरन देवी राज कुमार शुक्ल, सूर्य प्रकाश शुक्ल,सत्य प्रकाश शुक्ल, सीमा शुक्ला, ममता शुक्ला, अंकिता शुक्ला, प्रतिभा देवी,मधुलिका शुक्ला,निष्ठा शुक्ला, कविता,श्रेया, प्रतिष्ठा शुक्ला, उर्मिला देवी,शिवाकांत द्विवेदी, धर्मेन्द्र तिवारी, अशोक द्विवेदी,अम्बिकेश भट्ट,देव नारायण दुवे, अशोक कुमार पाण्डेय, अशोक कुमार सिंह, विनोद कुमार पांडेय, प्रमोद कुमार शुक्ला, जन्मेजय सिंह, हरिश्चंद्र सिंह प्रबंधक,संतराम दुवे, पिंटू शर्मा, केशव प्रसाद मिश्रा,दीना नाथ मिश्र,साधू सिंह, अभिषेक शुक्ला, अद्वैत दशरथ तिवारी, अवनीश कुमार मिश्र,मो इस्तियाक, धर्मेन्द्र दुवे, जन्मेजय सिंह, अमित सिंह सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। रिपोर्ट- अवनीश कुमार मिश्रा/ सुशील शर्मा

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