रिपोर्ट – संदीप कुमार फिज़ा
रायबरेली– केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए किसान बिल के विरोध में विपक्षी दलों और किसानों का प्रदर्शन लगातार तेज होता जा रहा है एक तरफ केंद्र और राज्य सरकारें जहां किसानों को इस बिल के फायदे गिनाने में जुटी हुई हैं वहीं दूसरी ओर किसान और विपक्षी दल धरना प्रदर्शन के माध्यम से लगातार सरकार को घेरे हुए हैं आज राजधानी लखनऊ में किसान बिल के विरोध में कांग्रेसमें धरना प्रदर्शन का आयोजन किया जिसमें पूरे प्रदेश से कांग्रेसियों को शामिल होने का निर्देश था कांग्रेसका गढ़ माने जाने वाले रायबरेली से भी कई कांग्रेसी नेता और पूर्व विधायक इस धरने में शामिल होने के लिए निकले ही थे की रायबरेली पुलिस ने उनको रायबरेली की सीमा में ही रोक लिया और एहतियात के तौर पर उन्हें गेस्ट हाउस में बैठा दिया।
प्रदेश कांग्रेस के आव्हान पर आज राजधानी लखनऊ में केंद्र सरकार द्वारा पारित किसान बिल के विरोध में धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया है इस धरना प्रदर्शन में राजधानी के साथ-साथ आसपास के कई जिलों से कांग्रेसी नेताओं और पूर्व विधायक को शामिल होना था, इस धरना प्रदर्शन का मकसद किसान बिल पर सरकार को घेरने के साथ-साथ कांग्रेश यह यह संदेश भी देना चाहती है कि वह किसानों की सच्ची हितैषी है केंद्र सरकार द्वारा पारित किसान बिल के विरोध में किसानों द्वारा लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है जिससे सरकार यह बिल वापस ले ले या तो फिर उसमें कुछ संशोधन कर दिए जाएं। किसानों की इसी मांग पर कांग्रेस द्वारा आयोजित राजधानी लखनऊ में धरना प्रदर्शन के लिए रायबरेली से भी कई नेता लखनऊ के लिए जा रहे थे लेकिन रायबरेली पुलिस ने उनको सीमा पार होने से पहले ही रोक लिया और उनको हिरासत में लेकर गेस्ट हाउस में बैठा दिया पुलिस हिरासत में लिए गए। सरेनी के पूर्व विधायक अशोक सिंह का कहना है कि वह धरने में शामिल होने के लिए लखनऊ जा रहे थे लेकिन उनको पुलिस ने उनके घर के पास ही रोक कर हिरासत में ले लिया। सरकार लगातार विपक्ष की आवाज को दबा रही है। वहीं दूसरी तरफ रायबरेली पुलिस ने पट्टी के पूर्व विधायक राम सिंह जो लखनऊ धरने में शामिल होने जा रहे थे उनको त्रिपुला चौराहे पर सिटी मजिस्ट्रेट युगराज सिंह और सीओ अंजनी चतुर्वेदी की मौजूदगी में हिरासत में ले लिया गया। पूर्व विधायक राम सिंह का कहना है कि वह धरने में शामिल होने जा रहे थे लेकिन सरकार की मशीनरी और पुलिस तानाशाही करते हुए उन्हें आगे नहीं जाने दे रही और लोकतंत्र में सरकार विपक्षियों की आवाज दबाना चाहती है।