संदीप रिछारिया
धर्मक्षेत्र। श्रीराम की तपस्थली एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तपस्वियों से गुंजायमान होने वाली है। 9 जुलाई से प्रारंभ होने वाले संघ की राष्ट्रीय वैचारिक गोष्ठी का केंद्र बिंदु नानाजी देशमुख की कर्मस्थली व अनोखा प्रकल्प आरोग्यधाम होगा। पांच दिनों तक चलने वाले इस विशेष चिंतन शिविर में देश भर से आए संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी वर्तमान परिस्थिति में देश व विदेश में हिंदू जीवन, हिंदू तनमन पर चर्चा कर उसे मजबूत बनाने का प्रयास करेंगे। यहां पर वह राष्ट्रऋषि नाना जी देशमुख के द्वारा स्थापित किए गए विशेष उन प्रकल्पों को भी देखेंगे, जिनसे समाज के अंतिम पक्ति के व्यक्ति को जीने की राह मिलती है। रामदर्शन जैसे प्रकल्प से उन्हें यह पता चलेगा कि वास्तव में मर्यादापुरूषोत्तम श्रीराम कितने बड़े महामानव थे। चित्रकूट की पावन धरती जहां पर श्रीराम के साथ ही सतयुग के ऋषियों की तपस्या से व्याप्त आध्यात्मिक उर्जामय क्षेत्र में संघ को मिलने वाली अमोघ शक्तियों से आने वाले भारतवर्ष के कल का निर्माण संभव होगा।
यह है कार्यक्रम
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक 9 जुलाई से चित्रकूट में होगी। इस बैठक में भाग लेने के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत 6 जुलाई को ही चित्रकूट आएंगे। बैठक में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले सहित सभी सहसरकार्यवाह शामिल होंगे। प्रांत प्रचारक बैठक के बाद 11 व 12 जुलाई को देश के सभी प्रचारकों की भी बैठक होगी। कोरोना महामारी को देखते हुए लगभग 300 प्रचारक आनलाइन इस बैठक से जुडेंगे।
यह हैं व्यवस्थाएं
आरोग्यधाम परिसर स्थित वसुधा, कैलाश कुटीर, पयस्वनी, मंदाकिनी आदि रिसोर्ट को दुल्हन की भांति सजाया जा रहा है। संघ से जुड़े सभी प्रमुख पदाधिकारियों को इन्हीं काटेज में रोकने की व्यवस्था की गई है। आरोग्यधाम के अंदर मौजूद चार हालों को भी आधुनिकतम सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। इसके साथ ही यहां पर अभी तक विभिन्न प्रांतों से आए स्वयंसेवकों की डयूटी का निर्धारण भी हो चुका है। संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रसार प्रमुख सुरेश सोनी जी दो दिन पूर्व आकर अपना डेरा जमा चुके हैं। वह हर दो घंटे में स्वयंसेवकों के साथ ही डीआरआई के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने का प्रयास कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि पंचवटी के सभी कमरों को भी 8 से लेकर 14 जुलाई तक के खाली रखा गया है।
रामार्चा से मिलेगी संघ को संजीवनी
रामार्चा यानि श्रीराम की उपासना का सबसे कारक और मारक शस्त्र। यह श्रीराम की एक ऐसी तप, जप आराधना है जिसे हर शैव, शाक्त और वैष्णव अपने जीवन काल में एक बार करना चाहता है। वृहद चित्रकूट महात्म के अनुसान इस अमोघ अनुष्ठान का प्रारंभ चित्रकूट से हुआ। महात्म के अनुसार श्रीराम के महामंत्र का पहला जाप चित्रकूट की धरती पर खुद भगवान शिव व परमपिता ब्रहमा ने किया था। यह वही महाअनुष्ठान है जो श्रीराम जन्म भूमि मंदिर के निर्माण की ईंट रखने के पूर्व अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संपादित किया था।