चित्रकूट डीएम ने मार दिया मैदान

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रोजगार सृजन के बाद अब कोविड नियंत्रण में नम्बर वन बना चित्रकूट

चित्रकूट। आपत्ति काले मर्यादा नास्ति–लेकिन इस ब्रह्म सूत्र को बदलने का काम चित्रकूट के जिलाधिकारी ने कर दिखाया है। आपदाकाल में मर्यादा के साथ सकारात्मक परिणाम कैसे दिए जा सकते है,इसकी सबूत उन्होंने एक बार फिर कोविड नियंत्रण को लेकर दिया है। उत्तर प्रदेश में कोविड नियंत्रण को लेकर योगी सरकार की संजीदगी का असर तो साफ तौर पर दिखाई दे रहा है, वही चित्रकूट जिले ने रिकवरी रेट में बाजी मारी है। आकडों के हिसाब से झांसी व चित्रकूटधाम मंडल में चित्रकूट में रिकवरी रेट 92 फीसद है। इसके बाद हमीरपुर 91 व झांसी 90.77,महोबा में 89 फीसद है। ललितपुर में 88.68 तो जालौन 86.32 है। दोनों मंडलों में सबसे कम रिकवरी रेट बांदा जिले का 86 फीसद है।

वैसे आंकड़ों की भाषा मे समझे तो अभी तक जिले में 97 हजार से ज्यादा लोगों के टेस्ट होने के बाद कुल 1403 पॉजिटिव केस मिले। अगर रिकवरी और भर्ती होने की बात करे तो गुरुवार को 10 नए केस आए जबकि 11 लोग स्वस्थ होकर घर चले गए। अभी तक जिले में कुल 10 लोगों की मौत हुई है। इन मौतों की बात करे तो अधिकतर कोविड मरीज दूसरे प्रांतों से बीमार होकर गम्भीर हालत में यहां लाये गए थे। अगर सही मायने में बात की जाए तो कोविड से मरने वाले जिले में इक्का दुक्का ही रहे। इस समय कोविड सेंटर बनाये गए 200 शैया वाले खोह अस्पताल में कुल 113 लोगों का इलाज चल रहा है।

मनरेगा के अंतर्गत रोजगार सृजन में देश मे किया था टॉप

अप्रैल के महीने में कोविड19 की दहशत से पूरे देश से भागकर मजदूर अपने घर आए थे,ऐसे में उन्हें मनरेगा के जरिये रोजगार देने का काम किया था। इस काम मे चित्रकूट जिले ने देश मे टॉप किया था।

अधिकारियों की चुस्ती से हो रहा नियंत्रण

जिलाधिकारी शेषमणि पांडेय ने कोराना काल मे लोगों को स्वच्छता के प्रति जाग्रत करने का काम तो किया ही साथ ही नगर निकायों के जरिये साफ सफाई भी के अभियान जोर शोर से चलवाए। डीएम कहते है कि स्वच्छता पहली जरूरत है। मास्क, सेनेटाइजर,सोशल डिस्टेंस तो व्यक्ति को करना है लेकिन सामूहिक स्वच्छता का काम सभी को मिलकर करना चाहिए।

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