डीएम साहब जिले में झोलाछाप डॉक्टर उड़ा रहे हैं मौज, सीएमओ साहब केवल कागजों में कर रहे कार्यवाही

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रायबरेली-कोरोना काल मे जहाँ बड़े से बड़े डॉक्टर कोरोना मरीजों को ठीक करने की जदोजहद में जुटे हैं तो वही जिले में गांव से लेकर मुख्य मार्केटों तक झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार हो गई है। आलम यह है कि एक-एक गांव में तीन से चार दुकाने झोलाछाप डाक्टरों के चल रहे हैं। बिना किसी डिग्री के छोटे से छोटे और बड़े से बड़े हर मर्ज का इलाज इनके यहां होता है। अगर मरीज थोड़ा ठीक भी है और इनके इलाज अगर वो बीमार पड़ जाए तो इससे इनको कोई परवाह नहीं है।इन झोलाछाप डॉक्टरों का लक्ष्य सिर्फ चंद पैसे कमाना ही होता है। यही वजह है कि आए दिन गरीब तबके के लोग इन डॉक्टरों के शिकार हो जाते हैं। जिससे वे अपनी जान तक गंवा बैठते हैं। इसके बावजूद भी ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।

रायबरेली जिले मे मुख्य सडकों पर क्लीनिक खोले आधे दर्जन झोलाझाप डाॅक्टरों आप को देखने को मिल जाएंगे पर अब तक किसी भी झोला छाप डाक्टर के खिलाफ कोई कार्रवार्इ नही की गर्इ है।यहीं कारण है कि झोलाझाप डाक्टर स्वास्थ्य विभाग से जरा भी नहीं डरते। कोरोना काल में झोलाछाप डॉक्टरो की जमकर चांदी हो रही हैं इलाज के नाम पर तो वही क्षेत्र के ऊंचाहार,बछरांवा, महराजगंज, शिवगढ, सतांव, लालगंज समेत हर क्षेत्रो मे झोला छाप डाक्टर अपनी दुकान खोल कर खुलेआम स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को मुंह चिढ़ा रहे है तो वही स्वास्थ्य विभाग आंख बंद करे कुम्भकर्ण की नींद सो रहा है

झुग्गी और गांव वाले होते हैं इनके शिकार

झोलाझाप डाक्टरों का शिकार गांव में रहने वाले गरीब लोग हो रहे हैं। ये लोग इन डाक्टरों से 20 से 50 रुपये में दवार्इ ले लेते हैं। जिसका खामयाजा कर्इ बार उन्हें अपनी मौत को गले लगाकर चुकाना पडता है।

स्वास्थ्य विभाग का भी नहीं है कोर्इ खौफ

झुग्गियों व गांवों में सैकड़ों की संख्या में झोलाछाप डॉक्टर क्लीनिक चला रहे हैं। उन्हें पता है कि विभाग कभी गांव मे छापेमारी करने नहीं आएगा चूंकि विभागीय अधिकारियों के साथ उनकी सांठ-गांठ रहती है। किसी शिकायत पर अगर छापेमारी हो भी जाती है तो इसकी जानकारी इन्हें पहले ही मिल जाती है। अवैध क्लीनिकों के अलावा अवैध मेडिकल स्टोर भी काफी संख्या में चल रहे हैं।

छापे मारी से पहले ही मिल जाती है जानकारी

अगर कभी भी अगर मन हो गया झूठी छापामारी करने की तो इससे पहले ही उन्हें इस छापेमारी की जानकारी मिल जाती है। इसी का फायदा उठाकर ये झोलाछाप डाक्टर अपनी दुकान बंद कर मौके से गायब हो जाते हैं।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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