थाॅमस अल्वा एडीसन -जिसने दुनिया में बिखेर दी रोशनी

10

 


दुनिया में आए दिन नए नए आविष्कार हो रहे हैं . आविष्कारों की गिनती भी सैकडों या हजारों में नहीं बल्कि लाखों में है . लेकिन दुनिया के यदि आप टाॅप 100 आविष्कारों की सूची बनाएं तो इस सूची में भी पहले नंबर पर जिस आविष्कार को शुमार किया जाता है उसका नाम है बिजली का बल्ब . अंधेरा जो इंसान को हमेशा से डराता रहा है . उस अंधेरे पर रोशनी की इबारत लिखने का श्रेय जाता है अमेरिकन वैज्ञानिक थाॅमस अल्वा एडीसन को .
आज इंसानी वजूद पूरी तरह से रोशनी पर आश्रित होकर रह गया है . आप अपने घर में रोशनी से जुडे उपकरणों की यदि सूची बनाने बैठें तो आप अचरज में पड जायेंगे कि कोई भी कमरा ऐसा नहीं है जहां रोशनी का प्रबन्ध न किया गया हो . तभी आपके मुंह से अनायास निकल पडेगा . बिन रोशनी सब सून . तभी तो घरों से धीरे धीरे लैम्प , लालटेन , टार्च , मोमबत्ती सब गायब हो गई और उसकी जगह इनवर्टर , यूपीएस और अब सोलर पैनल ने ले ली .
महज चार पांच दशक पहले तक शाम ढलते ही , अंधेरा घिरते ही अपने अपने घरों में दुबकने वाले लोग आज शहरों की नाइट लाइफ की बातें करते हैं . अब तो रात के धुप अंधेरे में बल्बों की दूधिया रोशनी में मैच होने लगे हैं. ग्राउंड और स्टेडियम में रात में भी दिन सा उजाला होता है . मेला , प्रदर्शनी , नुमायश , सरकस का आनंद तो अंधेरी रात में जगमग जगमग रोशनी के बीच आता है . कुदरत ने जब सृष्टि गढी तो दिन और रात का चक्र बनाया . दिन और रात को मिलाकर वैज्ञानिकों ने इसे एक दिन का हिस्सा बताया . इंसान ने दिन का इस्तेमाल अपनी दैनंदिन गतिविधियों को संपादित करने में एवं रात का इस्तेमाल थकावट उतार कर नींद पूरी करने में व्यतीत करना शुरु किया. क्योंकि रात के अंधेरे से जूझने की गुत्थी उस समय तक इंसान सुलझा नहीं सका था . आदिमानव के लिए रात का अंधेरा रहस्यमय बना हुआ था .
19 वीं सदी में बिजली के आविष्कार के बाद आज से ठीक 142 वर्ष पहले अमेरिका के न्यूयार्क शहर में 1878 में थामस अल्वा एडीसन ने घरेलू उपयोग के लिए बिजली उपलब्ध कराई . 1880 में थाॅमस ने विद्युत वितरण प्रणाली का पेटेंट कराया था . उन्होंने विद्युत ऊर्जा की अवधारणा को घरों और कारखानों तक पहुंचाया .
मंदबुद्धि करार देने के बाद स्कूल से निकाले गए थाॅमस अल्वा एडीसन को उनकी मां ने घर पर पढाने का बीडा उठाया . जब वह महज दस साल का था तब उसकी मां नैंसी ने थाॅमस के हाथ रासायनिक प्रयोगों से जुडी किताब पकडा दी. इस किताब को पढकर मंदबुद्धि बालक के तो जैसे ज्ञानचक्षु ही खुल गए . मां से मिली पाकेट मनी जब खत्म हो गई तो उसने पैसों की खातिर ट्रेन में सब्जी व अखबार से लेकर कैंडी तक बेची . लेकिन प्रयोगों का दामन नहीं छोडा .
सन 1879 से 1900 उनके आविष्कारों का स्वर्ण युग माना जाता है . एक मत के अनुसार थाॅमस ने अपने जीवनकाल में लगभग तीन हजार आविष्कार किए . इनमें से 1093 आविष्कारों का बाकायदा पेटेंट हुआ. थाॅमस को इलेक्ट्रिक पाॅवर जनरेशन , मास कम्युनिकेशन , मोशन पिक्चर कैमरा के आविष्कार और फोनोग्राफ के आविष्कार के लिए पूरी दुनिया जानती है .
एडीसन ने 1878 में बल्ब निर्माण शुरु किया था . हजारों हजार प्रयोगों को अंजाम देने के बाद आखिरकार 1879 में बल्ब को जलाने में वे सफल रहे . उक्त बल्ब के निर्माण में हजारों डालर का खर्च आया था . जब उन्होंने पहली बार 40 इलेक्ट्रिक बल्बों को जलाकर दिखाया तो इसे देखने के लिए 3000 लोगों का हुजूम उमड पडा था .
एडीसन ने अपने जीवनकाल में 14 कंपनियों की स्थापना की . उनकी स्थापित कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जी ई ) आज भी चल रही है . एडीसन जब महज 22 वर्ष के थे तब उन्होंने जीवन का पहला पेटेंट वोट रिकार्डिंग मशीन पर हासिल किया था . उस मशीन का अत्याधुनिक रूप ईवीएम यानि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन है .
दुनिया को जगमगाने वाले एडीसन का आज ही की तारीख में 18 अक्टूबर 1931 को 84 वर्ष की आयु में अमेरिका के न्यूजर्सी में निधन हो गया था . एडीसन के सम्मान में अमेरिका की सभी लाईट को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था . एडीसन भले दुनिया में नहीं है लेकिन गगनचुंबी इमारतों से लेकर झोपडियों में उनका बल्ब आज भी पूरी दुनिया को रोशन कर रहा है .

Click