राकेश कुमार अग्रवाल
आज पूरी दुनिया पाश्चात्य रंग और ढंग का प्रेम दिवस मनाने जा रही है . प्रेम का इजहार होगा उपहारों का आदान प्रदान होगा . और तो और यह प्रेम दिवस नहीं बाकायदा एक हफ्ते का प्रेम महोत्सव हो गया है जो पूरी तरह बाजार पर आश्रित हो गया है . खासतौर पर उन पश्चिमी देशों में जहां प्रेम और प्यार को लेकर बंधन और बंदिशें नहीं हैं . जबकि भारतीय दर्शन की बात की जाए तो हमारे यहां तो कहा जाता है कि प्यार किया नहीं जाता , हो जाता है .
फरवरी का महीना वसंत का महीना भी होता है . ऋतुराज वसंत को मदनोत्सव के रूप में सदियों से मनाया जाता है . जब पूरी वसुंधरा अपने यौवन पर होती है . ऋतु परिवर्तन के साथ ही चारों ओर फैली हरियाली और पीली सरसों ऐसा लगता है कि प्रकृति भी हमें प्यार करने को पुकार रही हो .
जब से सृष्टि अस्तित्व में आई है प्रेम और वात्सल्य ने ही सृजन कर कायनात को आगे बढाया है . जहां पर भी सृजन होता है वहां प्रेम होता है . और आप इसे प्रेम का उत्कृष्ट रूप भी कह सकते हैं . यही कारण है आदि से लेकर आज भी करोडों वर्षों की इस विकास यात्रा में देश दुनिया में कोई भी प्रेम , प्यार , इश्क , मोहब्बत से ऊबा नहीं है . किसी ने पत्थर से प्रेम किया तो कलाकृति रच डाली . किसी ने शब्दों से प्रेम किया तो कहानी या कविता रच डाली , कारीगरों ने ईंट , गारे से प्रेम किया तो ताजमहल जैसी बेशकीमती इमारतें रच डालीं . उस्ताद बिस्मिल्लाह ने शहनाई से , पंडित रविशंकर ने सितार से , हरिप्रसाद चौरसिया ने बांसुरी से , उस्ताद अल्ला रक्खा ने तबले से , सचिन ने बल्ले से ,, लता ने स्वरों से तो कपिल देव ने गेंद से प्रेम किया तो कालजयी हो गए .
सवाल उठता है कि प्रेम है क्या ? प्रेम है किसी में डूबना , उसमें खो जाना , मीरा हो जाना , सुध बुध खो बैठना , और यह समर्पण जरूरी नहीं है कि केवल स्त्री – पुरुष के संदर्भ में ही हो . आप काम में खो सकते हैं , आप कारोबार में खो सकते हैं , आप साइंटिस्ट बनकर लैब में खो सकते हैं . जिस तरह से देश दुनिया के हजारों वैज्ञानिकों ने लैब में सुधबुध खोकर रिकार्ड महज 9 माह में कोरोना की वैक्सीन लांच की वह उनका अपना प्रोफेशन के प्रति प्रेम ही तो है . यह उसी तरह का प्रेम है जिस तरह एक चित्रकार रंग और ब्रश के साथ कैनवस में खो जाता है या फिर एक सफाईकर्मी हाथ में झाडू थाम सडक को सलीके से बुहारता है .
जहां तक स्त्री – पुरुष का प्रेम है यह दोनों का एक दूसरे के प्रति आकर्षण का प्रेम है . कब किसी के लिए दिल धडकने लगता है पता ही नहीं चलता है कि कब एक का दूसरे के प्रति साॅफ्ट काॅर्नर डेवलप हो गया . ऐसे में रंग , रूप , लंबाई , कद , काठी , कमाई , शारीरिक अवस्था एवं ग्रह नक्षत्र एवं गुणों का मिलान सब तिरोहित हो जाता है . 1981 में एक फिल्म आई थी प्रेमगीत . जिसका एक गाना होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो . गीत में शायर यहां तक लिखता है कि न उम्र की सीमा हो न जन्म का हो बंधन जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन . भारतीय परिवारों में आज भी शादियाँ होती हैं तो इंची टेप लगाकर की जाती हैं . जिसकी मोटी मोटी गणित यह होती है लडका उम्र में लडकी से बडा होना चाहिए . दोनों की उम्र में तीन चार वर्ष से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए . लडकी की लंबाई लडके से ज्यादा नहीं होना चाहिए वगैरह वगैरह …..लेकिन यही मानक प्रेम प्यार के मामलों में धरे के धरे रह जाते हैं . तभी तो प्रियंका चोपडा अपने से दस साल छोटे निक जोनास से और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों अपने से 24 साल बडी ब्रिगेट मैक्रों से बिना कोई गणित लगाए विवाह कर लेते हैं .
हिंदुस्तान में भी अगर प्रेम की बात की जाए तो हमारे धर्मग्रंथ , साहित्य फिल्में व समाज सभी जगह प्रेम को सर्वोपरि माना गया है . लेकिन यह भी याद रखने की जरूरत है कि यह आग का दरिया है और डूब कर जाना है . प्रेम की गली को अति सांकरी भी बताया गया है जिससे निकलना हर किसी के बस की बात नहीं है . अब तो प्रेमीजनों को यदि अपने प्रेम को मंजिल तक ले जाना है तो एक साथ कई मोर्चों से जूझने के लिए मानसिक तौर पर अपने को मजबूत कर लेना चाहिए . पहला मोर्चा आपका अपना घर . आपका परिवार और आपके रिश्तेदार व परिजनों का है . दूसरा मोर्चा है समाज का . आप किस जाति और बिरादरी से हैं . आप किस गोत्र से हैं क्या उनमें शादी की इजाजत है ? तीसरा मोर्चा है अंतर्धार्मिक प्रेम का . ऐसे में धर्म राजनीति और मीडिया आपको लपकने को तैयार बैठे हैं . ऐसे में आपका संबंध हाई प्रोफाइल परिवार से है तो फिर तो आपकी खैरियत नहीं है . फिर तो वो तांडव होगा जो आपने सोचा भी न होगा . अब तो सरकार भी ऐसे प्रेम संबंधों पर खार खाए बैठी है . पुलिस की प्रताडना से भी आपको दो चार होना होगा इसलिए अपनी पीठ और कमर भी मजबूत रखिएगा .
लैला – मजनू , शीरी – फरहाद , ढोला – मारू , बाजीराव – मस्तानी , सस्सी – पुन्नू , रोमियो – जूलियट , नेपोलियन – जोसेफाइन की बातें तो बहुत होती हैं और होती भी रहेंगी . आपके जीवन में भी प्रेम यदि दस्तक दे तो दुत्कारिए नहीं . प्रेम बहुत बडा सम्बल है . प्रेम एक अनोखी शै है . इसलिए प्रेममय हो जाइए . प्रेम में खो जाइए . ये ईश्वर की पूजा है . ये खुदा की इबादत है .
प्यार को प्यार ही रहने दो …
Click