बांदा में आयोजित केदार सम्मान समारोह में जुटे दिग्गज साहित्यकार

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कविता ने परतंत्रतता स्वीकार की तो वह कविता नहीं रहेगी – बजरंग बिहारी तिवारी

बांदा-प्रगतिशील धारा के प्रमुख हस्ताक्षर कवि केदारनाथ अग्रवाल व जाने माने आलोचक डा. रामविलास शर्मा की स्मृति में आयोजन सम्मान समारोह में देश के जाने माने साहित्यकारों के जमावड़े में पुरस्कारों के साथ बही काव्यधारा से बांदा एक बार फिर गुलजार हो उठा।
बांदा के एक होटल में केदार स्मृति न्यास के तत्वावधान में आयोजित भव्य समारोह में 22 वां केदार सम्मान जाने माने कवि, लेखक व पत्रकार विमल कुमार को उनके कविता संग्रह ‘ जंगल में फिर आग लगी है ‘ के लिए प्रदान किया गया। 10 वां डा. रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान दलित चेतना के अध्येता व आलोचक प्रोफेसर डा. बजरंग बिहारी तिवारी को एवम दूसरा महेश अंजुम स्मृति युवा कविता सम्मान बिहार के सहरसा के युवा कवि अरुणाभ सौरभ को उनके कविता संग्रह ‘ दिन बनने के क्रम में ‘ के लिए प्रदान किया गया। अस्वस्थ होने के कारण विमल कुमार अपना सम्मान ग्रहण करने खुद नहीं आ सके। उनका सम्मान प्रो. बजरंग बिहारी तिवारी ने ग्रहण किया। इस अवसर पर प्रो. बजरंग बिहारी तिवारी ने रचनाधर्मिता पर बोलते हुए कहा कि अगर कवि परतंत्रता स्वीकार कर लेगा तो कविता नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि हर कोई अमरता पाना चाहता है। और अमरता पानेका सबसे बड़ा माध्यम अक्षर हैं जिनका कभी क्षरण नहीं होता। क्योंकि रचनाकार हो या कवि उन्हें इन अक्षरों को अपने रक्त की लेई से जोड़ना पड़ता है तभी कोई कालजयी रचना तैयार होती है।
साहित्यकार व ‘ आजकल ‘ पत्रिका के संपादक राकेश रेणु ने प्रकृति व प्रेम को केदार की कविताओं का पर्याय बताया। उन्होंने कहा कि कविता केवल विचारों की कविता नहीं बल्कि कविता के लिए भावशक्ति भी जरूरी है। भावशक्ति के बिना विचारशक्ति अधूरी है। उन्होंने कहा कि उधार लिए विचार से काम नहीं चलेगा।
साहित्यसेवी व जनसंदेश टाइम्स के सम्पादक सुभाष राय ने कविता की शक्ति की चर्चा करते हुए कहा कि देश के जो हालात हैं। मजदूर और कामगार जिस पीड़ा से गुजर रहा है उनकी पीड़ा भी कविताओं में दर्ज होनी चाहिए। कविता को दायरे तोड़कर बाहर आना होगा और लड़ना भी होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. गुप्तेश्वर सिंह ने कहा कि सम्मान मेधा को सम्मान है। रचना को सम्मान है। उन्होंने कहा कि समाज में द्वंद चलते रहते हैं लेकिन रचनाकार इन्हीं विषमतायें में अपनी रचनाधर्मिता से नई राह निकालता है। युवा आलोचक नीरज मिश्र ने बाबू केदारनाथ अग्रवाल की कविताओं व बांदा से जुड़े उनकी कसक को बयां करते हुए कहा कि बुंदेली परिवेश यहां की आबोहवा व यहां के हालातों पर जो उन्हें रचा वह कालजयी हो गया।
इस अवसर पर डा. सबीहा रहमानी का कहानी संग्रह ‘ काकी का कुनबा ‘ , युवा आलोचक नीरज मिश्र की पुस्तक ‘ बावले कवि की सौदागरी ‘ , डा. रामचन्द्र सरस का उपन्यास ‘ कमालपुर की रागिनी ‘ व कवि राकेश मिश्र के कविता संग्रह का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन व कवि केदार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि से हुई। श्रद्धा निगम की टीम ने नन्ही छात्राओं के माध्यम से कवि केदार की कविता ‘ गीतों की खेती को पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा। व सीनियर छात्राओं ने मांझी न बजाओ बंसरी पर नयनाभिराम कत्थक नृत्य की प्रस्तुति से सभागार को मंत्रमुग्ध कर दिया।
केदार न्यास समिति के सचिव नरेन्द्र पुंडरीक ने केदार सम्मान , डा. रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान व महेश अंजुम युवा कविता सम्मान के आयोजन में एक वर्ष का विलम्ब होने के कारणों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर डा. शबाना रफीक , शिवफल सिंह , नीरज मिश्र , राकेश कुमार अग्रवाल , राकेश मिश्र , शशिभूषण तिवारी , सूरज कुमार , मोईन राही , राजकुमार राज , अमित सेठ भोलू , बाबूलाल गुप्त समेत तमाम साहित्यप्रेमी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन इलाहाबाद विश्वविद्यालय की डा. सुधा त्रिपाठी ने किया।

राकेश कुमार अग्रवाल रिपोर्ट

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