रायबरेली : राजनीतिक रूप से संवेदनशील 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स रिश्वत कांड में हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ लगाए गए आरोप समेत सभी आरोपों को रद्द करने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के 2005 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की गई है।
भाजपा नेता एवं सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता अजय अग्रवाल की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने दो नवंबर, 2018 को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई की अर्जी खारिज कर दी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि जांच एजेंसी उस फैसले के खिलाफ उनके द्वारा दायर अपील में सभी आधार उठा सकती है। अर्जी में कहा गया है, आवेदक द्वारा इस मामले को दायर करने के लगभग 16 साल बीत चुके हैं और इस घोटाले को हुए 35 साल बीत चुके हैं।
इस दौरान हिंदुजा बंधुओं को छोड़कर सभी आरोपितों की मौत हो चुकी है। याचिका में कहा गया है, रक्षा क्षेत्र में घोटालों की पुनरावृत्ति हुई है, क्योंकि इस पहले घोटाले यानी बोफोर्स मामले के आरोपितों को सजा नहीं दी गई। न्याय के हित में यह उचित होगा कि मामले की जल्द सुनवाई की जाए।
भारतीय सेना के लिए 155 मिमी होवित्जर तोपों की 400 इकाइयों की आपूर्ति के लिए भारत सरकार और एबी बोफोर्स के बीच 1,437 करोड़ रुपये का सौदा 24 मार्च, 1986 को हुआ था। स्वीडिश रेडियो ने 16 अप्रैल, 1987 को दावा किया था कि कंपनी ने सौदा हासिल करने के लिए शीर्ष भारतीय राजनेताओं और रक्षा अधिकारियों को रिश्वत दी थी।
अनुज मौर्य रिपोर्ट