मदर्स डे पर बेटे नें दिया माँ को जीत का तोहफा

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महराजगंज, रायबरेली। कस्बे में जहां निकाय चुनाव में चेयरमैन पद को लेकर जोर आजमाईश थीं तो वहीं चेयरमैन पद से अधिक पूरे नगर में शांती नगर सभासदी के चुनाव में सर्वाधिक 900 वोटों के सापेक्ष मात्र दो प्रतिद्वंदियों के आमने सामने की कड़ी टक्कर सर्वाधिक चर्चा में रही।

मालूम हो की शांती नगर से निर्दलीय महिला सभासद प्रत्याशी ऊषा त्रिपाठी नें भाजपा प्रत्याशी मीरा देवी को 140 मतों के विशाल अंतर से हरा कर चारों खाने चित्त कर दिया। इस ऐतिहासिक जीत के पीछे ऊषा त्रिपाठी के पुत्र अमित त्रिपाठी द्वारा वार्ड की जनता को लेकर की गयी।

पांच वर्षों की सेवा रूपी तपस्या के साथ साथ सुख दुःख में खड़े रहने की किव्वत का होना बताया जा रहा। मालूम हो की शांती नगर की जनता नें 2012 में निर्दलीय सभासद प्रत्याशी के रूप में ऊषा त्रिपाठी को 137 मत प्रदान कर मीरा देवी को हरा 17 मतों से विजयी बना नगर पंचायत पहुंचाया।

वहीं 2017 के चुनाव में निर्दलीय खड़े ऊषा त्रिपाठी के पुत्र अमित त्रिपाठी को पिछले चुनाव में 54 मत अधिक मिलने (कुल 191 मत) के बावजूद 01 वोट से हार का सामना करना पड़ा। जिसमें ऊषा त्रिपाठी के परिवार की वोट शांती नगर के बजाए आर्य नगर में होना बताया जाता है। उस हार में भी सामने वाले की जीत के बजाए अमित त्रिपाठी के जज्बे की चर्चा अधिक रही।

पांच वर्षों बाद 2023 में भी शांती नगर के चुनाव की गूंज पूरे नगर सहित आस पड़ोस के क्षेत्रों में चेयरमैन तथा अन्य वार्ड के सभासद पद के चुनाव से अधिक सुनाई दी।

जहां नगर में सर्वाधिक मतों 901 का वार्ड होने के बावजूद दो ही महाराथीं आमने सामने दिखाई दिए, जहां एक तरफ भाजपा से मीरा देवी वहीं निर्दलीय ऊषा त्रिपाठी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली लेकिन इन सब के बीच नतीजे नें पूरे नगर की जनता को अवाक कर दिया।

जहां शांती नगर के मतदाताओं नें 436 मत प्रदान कर ऊषा त्रिपाठी को एकतरफा जीत दिला कर विपक्ष को सोचने पर मजबूर कर दिया वहीं अपनी मेहनत व मृदुभाषी व्यक्तित्व के साथ साथ जनता के दिल में घर बनाए अमित त्रिपाठी नें मतदाताओं से अकेले मिल कर चुनावीं जीत को माँ की झोली में डाल दिया।

लोग बेटे द्वारा मदर्स डे पर दिया गया अपनी माँ को “जीत के सार्टिफिकेट” का उपहार बता रहे वहीं अन्य माँ द्वारा अगली बार बेटे को मिली एक वोट से हार का बदला बता रहे।

शांतीनगर में सभासद पद का चुनाव एक और वजह से चर्चा में रहा। जहां एक तरफ अमित त्रिपाठी का अपनी जनता से लगाव तो वहीं दूसरी तरफ मठाधीशो तथा ठेकेदारों का भाजपा प्रत्याशी के पुत्र एवं भाजपा नेता विजय धीमान के साथ जमावड़ा। सत्ता एवं स्वभाव के गुरूर तथा जात पात की राजनीति नें विजयी विजय धीमान को जमीन पर ला पटक दिया।

  • अशोक यादव एडवोकेट
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