प्रेमी व प्रेमिका की राहें हुई जुदा, पंचायत के फैसले के बाद बेबस युगल अपने मां-बाप के साथ गए घर । राजातालाब पुलिस का प्रयास उस समय रंग ले आया जब युवती ने युवक को पहचानने से इंकार किया इस फ़ैसले के बाद पंचायत ने भी प्रेमी-प्रेमिका को अलग-अलग रहने का फरमान जारी कर दिया। यह घटना राजातालाब क्षेत्र की है। जहां कुछ दिन पहले प्रेमी ने प्रेमिका से विवाह का दावा करते हुए ससुरालियो पर पत्नी को बंधक बनाकर रखने और विदाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए बीते गुरुवार को कलाई की नस काटकर आत्महत्या की कोशिश किया इलाज के बाद सेहत मे थोड़े सुधार के बाद शनिवार को तहसील राजातालाब के चौखट पर जाकर एसडीएम, सीओ सदर, थानाध्यक्ष राजातालाब से अपने प्यार को पाने की गुहार लगाया। एसडीएम ने क्षेत्राधिकार सदर और थानाध्यक्ष को उक्त मामले का हल निकालने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् थानाध्यक्ष उसी दिन शाम को दोनों पक्षों को राजातालाब थाने पर बुलाया।
इसके बाद चला पंचायत का दौर।
अंतरजातीय विवाह का युगल के परिजनों ने कड़ा विरोध किया और दोनों को को अलग रहने की बात पर पंचायत में अड़े रहें।
ग्रामीणों ने थाने पर पंचायत के माध्यम से मामले को हल करवाया।
मामला कुछ इस तरह हल हुआ कि युवती ने प्रेमी को पहचानने से साफ इंकार कर अपने परिजनों के साथ वापस घर जानें की बात कही। उसके बाद पंचायत ने फैसला दिया कि मामला लड़की के इस फैसले के बाद हल हुआ और पंचायत में सुलहनामा भी बन गया और पुलिस को दिया गया। पुलिस ने मामले को सुलहनामे के आधार पर हल कर लिया और प्रेम विवाह करने वाले युवक को अंततः पंचायत के फैसले पर राजी हो गया। लड़की ने अपने घर और आस लगाए अपने पिता और भाई के साथ अपने घर वापस लौट गई। मामला आखिर हल हो गया और मामले को हल करवाने वाले पंचायत में बैठे लोग अपनी पीठ थपथपा रहे है।
वही दूसरी तरफ पुलिस अपनी खुद की पीठ थपथपाने में मशगुल है और मामले के हल का डंका बजाने के लिए अपने साथ क्षेत्र के कुछ पत्रकारों, समाजसेवियों को लेकर अपनी वाहवाही लूट रही है। कुछ तो ऐसा भी लिख रहे है कि पुलिस ने अथक प्रयास से मामला पंचायत में हल करवा दिया। मगर किसी को न्याय व्यवस्था के इस पंचायत तंत्र पर सवाल उठाने की फुर्सत नही दिखाई दे रही है। आखिर पंचायत ने घुटना पेट की तरफ मुड़ता है की कहावत को चरितार्थ कर दिया। युगल वापस तो जा चुके है। मगर पंचायत करने वाले दिल पर हाथ रख कर बता सकते है कि क्या उस युवक के साथ इन्साफ हुआ है। शायद नही। एक युवक उससे कथित रूप से प्रेम विवाह करता है। मगर पंचायत युवक की बात को कमतर करके युवक के प्रेमिका की बात को ऊपर रखता है।
अब अगर दुसरे नज़रिये से देखे तो युवक तो प्रेमिका को पाने के लिए आत्महत्या तक की कोशिश किया था उसको क्या मिला। शायद उसको सच का आईना दिखाई दे गया और उसने तो अपनी आस तक को खो दिया। मगर साहब हमारे यहाँ कहा जाता है पञ्च परमेश्वर। अब पञ्च परमेश्वर ने फैसला दे दिया तो दे दिया। परमेश्वर के फैसले पर उंगली उठाने की भला किसकी मजाल हो सकती है।
मगर साहब एक मिनट के लिये उस युवक के जगह खड़े होकर देखे, उनके दिल से पूछे कि आखिर फैसला क्या उसने माना होगा या फिर उनके ऊपर थोपा गया होगा। खैर साहब, हम तो दूर से मूकदर्शक की तरह है। हमारे पास पहले खबर आई युवक कथित पत्नी के लिए काटा कलाई तो हमने लिखा। फिर खबर आई कि मुझे प्यार से मिला दो गुहार एसडीएम से लगाया तो तो हमने लिख दिया। मगर साहब क्या करे, दिल में जो खटकता है न वही पाप होता है। अब दिल में खटक गई बात तो लिख दिया। ख़ैर हम भी इस भयानक दौर से गुजर चुकें है।
धन्यवाद
द्वारा
राजकुमार गुप्ता
वाराणसी