पीड़ित का ही पुलिस कर रही 151, 107 और 116 में चालान
वाराणसी। राजातालाब, अगर आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में रहते हैं और किसी मुसीबत में आपको पुलिस की मदद चाहिए तो सावधान हो जाएं। क्योंकि अगर आप पुलिस के पास मदद के लिए गए तो आपको मदद मिलेगी या नहीं, इसकी तो गारंटी नहीं है। लेकिन इतना जरूर है कि पुलिस उल्टा आपका ही शांति भंग 151, 107 और 116 में चालान कर अपना पल्ला झाड़ लेगी।
ऐसा एक नहीं लगातार कई मामले वाराणसी कमिश्नरेट में सामने आ चुके हैं। जिसमें पीड़ित यानी कि वादी मदद के लिए पुलिस के पास पहुंचा, लेकिन पुलिस ने मामले में कार्रवाई करने की बजाय दोनों पक्षों का शांतिभंग 151, 107 और 116 जैसी धाराओं में चालान कर अपनी ड्यूटी का कोरम पूरा कर ले रही है।
ऐसे में अब इस तरह के पीड़ित लोगों को आगे कभी भी किसी काम के लिए पुलिस के पास जाने के लिए जरूर सोचना पड़ेगा। कई मामलों में तो अब पीड़ित पुलिस के पास जाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे।
आइए आपको ऐसे ही एक केस के बारे में बताते हैं, जिनका पीड़ित होते हुए भी उल्टा पुलिस ने चालान कर दिया।
मार्च महीने में राजातालाब इलाके के कचनार के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दिव्यांग राजकुमार गुप्ता ने राजातालाब पुलिस को शिकायत किया था। उनकी शिकायत थी कि उन्होंने अपने गाँव के जयलाल पाल उर्फ अजय पाल की पत्नी धर्मा देवी को पैसा दिया था। लेकिन तय समय के बाद पैसा वापस नहीं मिलने पर चेक बाउंस करा दिया था।
जानकारी होने पर बीते 31 मार्च शाम को पीड़ित को रास्ते में रोककर विपक्षी ने मारपीटा और 15 सौ रुपये नगदी लूट कर उन्हें जान से मारने की धमकी दिया था।
जिसकी पीड़ित ने लिखित शिकायत थाने पर किया था लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं किया उसी दिन रात 8 बजे विपक्षी ने पुनः पीड़ित को मारपीट कर धमकी दिया था कि चेक बाउंस का मामला और पुलिस शिकायत वापस ले लो। पीड़ित मदद के लिए अगले दिन पुलिस के पास गया तो पुलिस ने पुरानी तहरीर पर एफ़आइआर न कर नया तहरीर लिखवा कर मामूली धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया।
एफ़आइआर के पश्चात खुलेआम विपक्षी पीड़ित को मुक़दमा वापस लेने की धमकी दे और दिलवा रहा था जिसकी पीड़ित द्वारा पुलिस कमिश्नर से शिकायत करने के पश्चात कार्रवाई के बजाय दोनों पक्षों का शांतिभंग 151, 107 और 116 जैसी धाराओं में चालान कर अपनी ड्यूटी का कोरम राजातालाब पुलिस पूरा कर ले रही है।
इस तरह से कार्यवाही के चलते अब पीड़ित दोबारा पुलिस के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है मानवाधिकार आयोग और उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाने का पीड़ित ने मन बना लिया है।
● राजकुमार गुप्ता