श्रीराम का यातना स्थल रहा कालिंजरः महंत मदन गोपाल दास

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  • गोंडवाना की महारानी दुर्गावती की जन्मस्थली पर मनाया बलिदान दिवस

  • जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण पर हुई चर्चा

  • दो सैकड़ा उपस्थित लोगों को महंतजी ने पौधे देकर कराया रोपण

संदीप रिछारिया (वरिष्ठ संपादक)

कालीजर (बांदा)। श्री चित्रकूटधाम परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले महादेव के विशेष स्थल कालींजर किले में स्थित पुलिस चौकी के समीप महारानी दुर्गावती के बलिदान दिवस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए श्री कामतानाथ प्रमुख द्वार मंदिर के प्रधान अधिकारी महंत मदन गोपाल दास जी महाराज ने कहा कि रामराज्य में किसी को दंड का कोई प्रावधान नही था। गलती होने पर दंड के भागी को प्रभु श्री राम कालीजर प्रायश्चित करने के लिए महाराज नीलकंठेश्वर की आराधना को भेजते थे। महारानी दुर्गावती हमारी गौरव है, इस किले में उन्होंने जन्म लिया,यह किला धन्य हो गया। कालीजर का उल्लेख लगभग हर पुराण व वेद में मिलता है।

उन्होंने कहा कि मानव पशु, पक्षियों का दुश्मन तो बना ही हुआ है साथ ही वह अपना स्वयं का विनाश कर रहा है। प्लास्टिक का उपयोग कर हम स्वयं को धीमी मौत दे रहे है। बेतहासा बढ़़ रही गर्मी का कारण जंगलों का विनाश है। इनके पूर्व वीरांगना रानी दुर्गावती बलिदान दिवस का शुभारम्भ श्रीकामदगिरी प्रमुख द्वार के अधिकारी महंत मदन गोपाल दास ने दीप प्रज्वलित करके किया। इस दौरान उनके साथ अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के संस्थापक वरिष्ठ समाजसेवी गोपाल भाई,जखनी जल ग्राम के प्रणेता उमाशंकर पांडेय, पूर्व सांसद भैरो प्रसाद मिश्र,राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महामंत्री शानू गुप्ता, पूर्व नगर पालिकाध्यक्ष बांदा विनोद जैन, ब्लाक प्रमुख नरैनी मनफूल पटेल, समाजसेवी विनोद गुप्ता प्रिंस गुप्ता, राम प्रकाश गुप्ता, मौदहा के अन्नू दीक्षित, ममता तिवारी, ज्योति करवरिया, आदि की उपस्थित में दीप जलाकर किया।
इस दौरान अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के संस्थापक गोपाल भाई ने कहा कि कालींजर की धरती वीरों की धरती रही है। इस किले को अजेय दुर्ग के रूप में जाना जाता है। इसी किले से निकी एक बेटी दुर्गावती ने गोडवाना में अपने शौये व पराक्रम से इतिहास में अपना नाम अमर कियां दुख की बात यह है कि आज यह क्षेत्र उपेक्षित है। उन्होंने कहा कि हम जब संबंध को समझ लेंगे तो न केवल पर्यावरण बचेगा बल्कि सभी को सुख मिलेगा। मानव प्रकृति के सर्वाधिक नजदीक है। प्रकृति हमें भोजन देती है। फिर भी हम प्रकृति का श्रंगार करने की जगह उसका विनाश करने का काम करते रहते हैं।

जलग्राम जखनी के प्रणेता व देश भर में अपने माडल को लेकर चर्चा में आए वरिष्ठ समाजसेवी उमाशंकर पांडेय ने कहा कि छिति जल पावक गगन समीरा की चर्चा श्री राम चरित मानस में हैं। ऋग्वेद की शुरूआती रिचायें भी हमें प्रकृति के महत्व को बताती है। मानव ने सर्वप्रथम अपनी आराधना का क्रम भी प्रकृति से ही किया। आज भी कुंआ पूजन, तालाब पूजन, वृक्ष पूजन जैसे कर्म हमसब लगातार कर रहे हैं। लेकिन न तो कभी मिटृटी को पहचानने का काम करते हैं और न ही अपनी मिट्टी को सुधारने का काम करते हैं। सूखा हो या फिर बाढ या फिर मौसम का असमान परिवर्तन वास्तव में यह किसी देवता का प्रकोप नही है, वरन इसके जिम्मेदार हम स्वयं ही है। इस दौरान व्यापारी नेता शानू गुप्ता ने पर्यावरण संरक्षण के साथ ही कालींजर किले में बाबा नीलंकठ के दर्शन करने आने वालों से एएसआई द्वारा टिकट वसूलने को लेकर कडी आपत्ति दर्ज कराई। पूर्व सांसद भैरव प्रसाद मिश्र, राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महामंत्री शानू गुप्ता, पूर्व नगर पालिकाध्यक्ष बांदा विनोद जैन, ब्लाक प्रमुख नरैनी मनफूल पटेल, समाजसेवी प्रिंस गुप्ता, राम प्रकाश गुप्ता, मौदहा के अन्नू दीक्षित, ममता तिवारी, ज्योति करवरिया, आदि की उपस्थित में दीप जलाकर किया।

इस दौरान अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के संस्थापक गोपाल भाई ने कहा कि कालींजर की धरती वीरों की धरती रही है। इस किले को अजेय दुर्ग के रूप में जाना जाता है। इसी किले से निकी एक बेटी दुर्गावती ने गोडवाना में अपने शौये व पराक्रम से इतिहास में अपना नाम अमर कियां दुख की बात यह है कि आज यह क्षेत्र उपेक्षित है। उन्होंने कहा कि हम जब संबंध को समझ लेंगे तो न केवल पर्यावरण बचेगा बल्कि सभी को सुख मिलेगा। मानव प्रकृति के सर्वाधिक नजदीक है। प्रकृति हमें भोजन देती है। फिर भी हम प्रकृति का श्रंगार करने की जगह उसका विनाश करने का काम करते रहते हैं।

जलग्राम जखनी के प्रणेता व देश भर में अपने माडल को लेकर चर्चा में आए वरिष्ठ समाजसेवी उमाशंकर पांडेय ने कहा कि छिति जल पावक गगन समीरा की चर्चा श्री राम चरित मानस में हैं। ़ऋग्वेद की शुरूआती रिचायें भी हमें प्रकृति के महत्व को बताती है। मानव ने सर्वप्रथम अपनी आराधना का क्रम भी प्रकृति से ही किया। आज भी कुंआ पूजन, तालाब पूजन, वृक्ष पूजन जैसे कर्म हमसब लगातार कर रहे हैं। लेकिन न तो कभी मिटृटी को पहचानने का काम करते हैं और न ही अपनी मिट्टी को सुधारने का काम करते हैं। सूखा हो या फिर बाढ या फिर मौसम का असमान परिवर्तन वास्तव में यह किसी देवता का प्रकोप नही है, वरन इसके जिम्मेदार हम स्वयं ही है। इस दौरान व्यापारी नेता शानू गुप्ता ने पर्यावरण संरक्षण के साथ ही कालींजर किले में बाबा नीलंकठ के दर्शन करने आने वालों से एएसआई द्वारा टिकट वसूलने को लेकर कडी आपत्ति दर्ज कराई। पूर्व सांसद भैरव प्रसाद मिश्र ने समाज में फैली कुरीतियों को समाप्त कर हर व्यक्ति को एक वृक्ष लगाने का संकल्प दिलाया। उपजिलाधिकारी नरैनी सहित विद्याधाम समिति के मंत्री राजाभइया यादव, समाजसेवी विमलकान्त तिवारी ने भी संबोधित किया। समाजसेवी बिनोद अतरौलिया, जमुना पांडेय , राकेश मिश्रा, रामयश द्विवेदी, अरबिंद छिरौलिया, शुभम द्विवेदी, विनोद सिंह के साथ लगभग दो सैकड़ा लोग तपती धूप में मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन अशोक पाठक ने किया। इस दौरान सभी लोगों ने श्री कामतानाथ प्रमुख द्वार के प्रमुख अधिकारी महंत मदन गोपाल दास जी महराज द्वारा विभिन्न प्रजाति के पौधों का रोपण किया।

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