कोविड-19 संकट विशेष
सरकार को 1 बरस का मिला मौका, लेकिन नहीं चालू हो पाया अस्पताल
दुर्गेश सिंह चौहान की रिपोर्ट
रायबरेली – रायबरेली से लगभग 5 किलोमीटर दूर तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने बड़ी उम्मीदों के साथ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायबरेली के बड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी उम्मीद यही की गई कम से कम एक दशक में यह अस्पताल चालू हो जाएगा! लेकिन रायबरेली की सियासत में चाहे पक्ष हो या विपक्ष अस्पताल को त्वरित रूप से सक्रिय होने को लेकर वकालत नहीं की। सियासत ने एक बार फिर रायबरेली की जनता को ठग लिया आज का दौर कोविड-19 से भरा हुआ है पिछले साल भी जब कोविड-19 संक्रमण कम हुआ तो यह उम्मीद की गई यह अस्पताल अब तो सक्रिय हो जाएगा! लेकिन हाल में ही चल रही ओपीडी को भी ऑनलाइन कर दिया गया। अस्पताल में संपूर्ण रुप से इलाज हो सके इसके लिए प्रबंध नहीं किए जा सके। रायबरेली की जनता जिला अस्पताल रायबरेली में मौजूद चिकित्सा सेवाओं का दर्द महसूस कर रही है। अरबों रुपए का बजट खर्च कर देने के बाद भी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान सक्रिय ना हो पाने से लोगों में निराशा है। उत्तर प्रदेश में तेजी के साथ संक्रमण फैल रहा है और रायबरेली में भी संक्रमण की दर बढ़ती जा रही है यह व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है! अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान का अस्पताल यदि सक्रिय हो जाता इसे रायबरेली समेत अन्य जनपदों को भी स्वाभाविक तौर पर लाभ पहुंचता। उम्मीद थी कि सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष के नेता भी अस्पताल को जल्द से जल्द चालू कराने को लेकर आवाज बुलंद करेंगे लेकिन सियासत का तकाजा ही यही है जनता के हक की बात कहां होती है! रायबरेली में राजनीति हवा जैसी बहती रही पर किसी भी राजनेता ने कभी भी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान को जल्द से जल्द सक्रिय करने को लेकर आवाज नहीं बुलंद की। जनता को भी सियासत को पहचानना होगा आखिर वह किस रूप में जनता के लिए वरदान साबित हो रही है यह भी समझना होगा! आज स्थानीय जनता के लिए अस्पताल की बड़ी जरूरत है प्राइवेट अस्पतालों में पैसे को लेकर जिस तरह के हालात हैं वह खुला खेल फर्रुखाबादी है। यदि संक्रमण की दर ऐसे ही बढ़ती रही चिकित्सा अव्यवस्थाओं की हकीकत जल्द ही जनता के सामने आएगी!