रायबरेली-ग्रामीण व शहरी इलाकों में सैंकडो तरह की समस्याएं होती हैं और इन्हीं परेशानियों को निपटाने के लिए सरकार समाधान दिवस का आयोजन करती है. इसका मकसद होता है एक छत के नीचे फरियादियों को सभी अधिकारी मिल जाएं और काम की रफ्तार तेज हो जाए.
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को दफ्तरों के चक्कर ना काटने पड़ें. लेकिन अधिकारी शायद इन चीजों को गंभीरता से नहीं लेते. ताजा मामला आज शनिवार के दिन सदर तहसील में देखने को मिला जहां पर जहां जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव व पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी समाधान दिवस पर फरियादियों की समस्या को सुन और हल करने में जुटे थे तो वही तहसील दिवस में आए हुए कुछ अधिकारी व कर्मचारी मोबाइल में फेसबुक और गेम खेलने में व्यस्त नजर आए शायद उन्हें अपनी जिम्मेदारी से कोई मतलब ही नहीं था।
योगी सरकार ने इसे ओर पारदर्शी बनाने के लिए तहसील दिवस का नाम बदलकर संपूर्ण समाधान दिवस रख दिया, मगर नतीजा ढाक के तीन पात निकला. सदर तहसील में तहसील दिवस के दौरान कुछ अधिकारी अपने मोबाइल पर वीडियो गेम व फ़ेसबुक खेलते नजर आए। यह कोई पहला मामला नहीं था इससे पहले भी इसी तरह के कई मामले समाधान दिवस में देखे गए जिसमें जिम्मेदार अधिकारी अपने जिम्मेदारियों से हटकर मोबाइल में व्यस्त नजर आते थे लेकिन कोई सख्त कार्रवाई ना होने के कारण शायद यही वजह है कि जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से हटकर अपना निजी काम करने में व्यस्त रहते हैं।
रिपोर्ट- अनुज मौर्य