कुलपहाड़, महोबा। उभरते युवा कवि राकेश कुमार अग्रवाल के नए कविता संकलन ‘सीसीटीवी अम्मा’ के विमोचन के अवसर पर दिल्ली से आए मुख्य अतिथि चिंतक, विचारक, आलोचक व दलित साहित्य अध्येता प्रो. बजरंग बिहारी तिवारी ने कहा कि सीसीटीवी अम्मा की कविताओं में मुझे हर मां का अक्स नजर आता है।
कविताओं को पढना मां के संघर्ष , मां की वेदना , मां के ममत्व व मां की जीवटता को जिस तरह उकेरता है उससे मां के विराट स्वरूप का पता चलता है। रोजा अफ्तार कविता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत की सामाजिकता व सदभाव यहां की पूंजी है। नफरत से समाज टूटता है प्रेम से समाज बनता है। जिसे मां के हवाले से बखूबी उकेरा गया है।
नगर के रामरतन भुवनेश कुमार पब्लिक स्कूल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में देश के प्रसिद्ध साहित्यकारों की मौजूदगी में वरिष्ठ पत्रकार व रचनाकार राकेश कुमार अग्रवाल के कविता संग्रह सीसीटीवी अम्मा का लोकार्पण किया गया।
प्रसिद्ध आलोचक व चिंतक एवं इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी दिल्ली से आईं मुख्य वक्ता डा. सुनीता ने काव्यकृति ‘सीसीटीवी अम्मा’ की विस्तृत मीमांसा करते हुए कहा कि संवेदना व वेदना के धरातल पर सीसीटीवी अम्मा कविता संग्रह की रचनाएं मानव मन को झिंझोडने में सफल रही हैं।
संग्रह की कविताएं इतिहास ग्रंथ की तरह जिस तरह से अम्मा के बारे में सूचनाएं , जानकारियां देती चलती हैं उससे पाठक की जिज्ञासाओं का साथ साथ शमन होता चलता है। चित्रात्मक शैली में लिखी गई कविताएं संवेदनाओं के साथ यथार्थ को परोसती हैं।
डा. सुनीता ने कविताओं को समाज को जोडते हुए कहा कि सोशल डिस्टेंस की बात हुई थी लेकिन लोगों ने तो इमोशनल डिस्टेंस बना ली है। उन्होंने कहा कि कठोर प्रशासक, मिसाल बेमिसाल कविता को हर किसी को जरूर पढना चाहिए। संग्राम की निशानी कविता को उन्होंने प्रयोगधर्मी व ज्ञानार्जन करने वाली कविता कहा।
केदार स्मृति न्यास के सचिव वरिष्ठ कवि नरेन्द्र पुण्डरीक ने सीसीटीवी अम्मा की विवेचना करते हुए कहा कि ईश्वर मशीनी सीसीटीवी है जो केवल देखता है जबकि अम्मा जी ऐसा सीसीटीवी हैं जो चीजों को देखकर देखकर अनदेखा नहीं करतीं।
कविताओं को पढने के बाद सहसा ये ख्याल आता है कि दुनिया की सारी अम्माएं समरूप व समानधर्मा हैं। कविताओं की भाषा सरल व सहज है जिनकी ग्राह्यता सहज ही पाठक को हो जाती है। राकेश अग्रवाल की कविताएं नई अनुभूतियों को लेकर आई हैं।
गर्ल्स डिग्री कालेज बांदा की प्राचार्य डा. दीपाली गुप्ता ने कहा कि राकेश जी की कविताओं ने मां के प्रति सोई हुई संवेदनाओं को जगाया है। ये कवितायें संबल देती हैं सकारात्मकता प्रदान करती हैं।
साहित्यकार संतोष पटैरिया ने कहा कि कविताएं संबंधों का व्याकरण परोसने में सफल रही हैं। कथाकार महेन्द्र भीष्म ने कहा कि राकेश जी की कविताएं बोलती हैं। मैं इस पर कहानी लिखूंगा।
डा. कमलेश सक्सेना ने सुंदरकांड , ठाकुरजी का प्रसाद कविताओं का जिक्र करते हुए कहा कि मां के मन को समझने के लिए भाव का होना जरूरी है।
शिक्षक नीतेन्द्र चौबे , सिद्धगोपाल द्विवेदी व देवदत्त चौबे ने सीसीटीवी अम्मा की कुछ कविताओं का सस्वर पाठ किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में औनिक अग्रवाल, पावनी व देवांशी साहू ने मां की उंगली पकड के चला गीत पर व शबीना मैम ने मैं छाया तेरी तू आँचल मेरा गीतों पर नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी।
संचालन नीतेन्द्र चौबे ने किया। इस अवसर पर रामरतन भुवनेश कुमार पब्लिक स्कूल के प्रबंधक सुरेन्द्र कुमार अग्रवाल व प्रिंसिपल अमित अग्रवाल ने सभी अतिथियों को उपहार देकर सम्मानित किया। आभार राकेश कुमार अग्रवाल ने व्यक्त किया।
- राकेश कुमार अग्रवाल