रिपोर्ट- Sandeep kumar fiza
लालगंज। सरकार का पूरा ध्यान पर्यावरण संरक्षण पर है। हर साल अभियान चलाकर पौधे लगवाए भी जाते हैं।कोरोनाकाल में लोगों के शरीर में अचानक आक्सीजन कम होने की बीमारी सामने आई तो लोगो को पेंड़ो की महत्ता समझ में भी आने लगी लेकिन जिम्मेदारो की आंखे अभी भी नही खुल सकी है। लगातार क्षेत्र में पेंड़ कटान जारी है लेकिन जिम्मेदारें की नजर में आल इस वेल है। लाकडाउन का भय दिखाकर दुकानदारों को पकड़कर कोतवाली तक ले आने वाले पुलिस कर्मियों को क्षेत्र में कटते पेंड़ नही दिखाई देते।जब कभी मामले की शिकायत होती है तो पुलिस कर्मी वन विभाग तथा वनकर्मी पुलिस का मामला बताकर अपना अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। बुधवार को एक ओर जहां लालगंज केतवाली क्षेत्र के पूरेतोडि़या मजरे सेमरपहा गांव में नीम के हरे पेंड़ कटे वहीं कैली गांव में महुवा के पेंड़ काटे गए लेकिन क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पैनी निगाहे जमाए रखने का दावा करने वाले पुलिस विभाग को इसकी भनक लगी और न वन विभाग को। वहीं ग्रामीणों का कहना था कि पुलिस की जानकारी के बिना कभी पेंड़ो की कटान व अवैध खनन नही होता।बीते दिनो कोरिहरा गांव में भी नीम के पेंड़ो की कटान हुई थी। शिकायत पर पहुंची पुलिस ने वनकर्मियों द्वारा कार्रवाही करने की बात कही थी तो वनविभाग द्वारा मामला राजस्व का बताकर लेखपाल द्वारा मुकदमा दर्ज कराने की बात कही गई।कुल मिलाकर मुकदमा दर्ज नही हो सका। क्षेत्र में रही हरे पेंड़ो की कटान को लेकर खाकी व वनविभाग दोनो की कार्यशैली पर सवालियां निशान लग रहे हैं। इस बाबत रेंजर हरिअेम श्रीवास्तव का कहना है कि मामला संज्ञान में नही है। वह जांच कराकर कार्रवाही कराएंगे