हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 – नूरपुर सीट से बीजेपी के रणवीर सिंह विजयी

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हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 - नूरपुर सीट

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 – नूरपुर सीट से बीजेपी के रणवीर सिंह विजयी रहे।

हिमाचल असेंबली चुनाव को लेकर कांगड़ा जिले की नूरपुर सीट पर चुनाव प्रचार जोरों पर है। यहां बीजेपी दोबारा जीत हासिल करने के लिए रणबीर सिंह निक्का को प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने रणवीर के मुकाबले में अजय महाजन को खड़ा किया है। वहीं पहली बार हिमाचल के रण में उतरी आप ने मनीषा कुमारी को चुनावी रण में उतार दिया है।

कांगड़ा जिले के नूरपुर विधानसभा सीट पर एक जमाने में कांग्रेस का वर्चस्व रहा करता था, लेकिन बीते 6 चुनावों से यहां हर बार विधायक बदल जाता है। फिलहाल यह सीट बीजेपी के हाथ में है और राकेश पठानिया यहां के विधायक हैं। मगर बीजेपी ने जीत को पुख्ता करने के लिए रणबीर सिंह निक्का को प्रत्याशी बनाया है। उधर कांग्रेस ने अजय महाजन को ही टिकट दिया है।

साल 2017 में नूरपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी से राकेश पठानिया विधायक बने थे। राकेश पठानिया को 34,871 वोट मिले थे। कांग्रेसी कैंडीडेट अजय महाजन को 28,229 मत मिले थे। बीजेपी उम्मीदवार राकेश पठानिया ने कांग्रेस के अजय महाजन को 6,642 वोटों के अंतर से हराया था।

वर्ष 2012 के असेंबली चुनाव में कांग्रेस के अजय महाजन को विजयश्री हासिल हुई थी। महाजन को 26,546 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी के हारे हुए उम्मीदवार राकेश पठानिया को 23.179 वोट मिले थे। अजय महाजन ने राकेश पठानिया को कुल 3,367 मतों से हराया था।

अब बात करते हैं कांगड़ा जिले की नूरपुर विधानसभा के वोटरों की… यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 93,716 है। इनमें से पुरुष 48,540 पुरुष वोटर्स हैं। वहीं महिला 45,176 महिला मतदाता है।

कुल मतदाता – 93,716
पुरुष मतदाता – 48,540
महिला मतदाता – 45,176

अब एक नज़र डालते हैं कि नूरपुर सीट के उम्मीदवारों के बारे में …

बीजेपी कैंडिडेट रणबीर सिंह निक्का
क्षेत्र में लोकप्रिय हैं निक्का
पार्टी और संगठन का पूरा समर्थन
पार्टी में सभी को साथ लेकर चलने में सक्षम

कांग्रेस प्रत्याशी अजय महाजन
कांग्रेस के मज़बूत और दमदार नेता
विधानसक्षा क्षेत्र में लोकप्रिय

आप उम्मीदवार मनीषा कुमारी
आप की जुझारू और कर्मठ नेत्री
क्षेत्र में लोगों के बीच में अलग पहचान

नूरपुर असेंबली सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सबसे अधिक 40 फीसदी राजपूत मतदाता हैं। 20 प्रतिशत ओबीसी और 12 फीसदी बाह्मण वोटर हैं। इसके अलावा यहां अनुसूचित जाति और जनजाति के मतदाताओं की संख्या भी काफी मायने रखती है। यहां के आंकड़े बताते हैं कि यहां राजपूत और एससी और एसटी का गठजोड़ ही राजनीति की दिशा तय करता है।

नूरपुर का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। ऐसा कहा जाता है कि राजा जगत सिंह के शासनकाल में एक बार यहां जहांगीर और नूरजहां आए थे। इसके बाद इसका नाम बदलकर नूरपुर हो गया। यहां एक किला है जो आर्कषण का केन्द्र है। इसे पठानिया कबीले द्वारा बनाया गया था।

प्राकृतिक रूप से समृद्ध नूरपुर विधानसभा में पेयजल की विकट समस्या है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर बार के चुनाव के दौरान पार्टियां पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए लंबे-चौड़े वायदे करते हैं। मगर इलेक्शन खत्म होते ही वायदे भूल जाते हैं।

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